नर्मदापुरम से गजेंद्र सिंह राजपूत की रिपोर्ट नर्मदापुरम। जिले का स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह बेलगाम होकर नियमों को ताक पर रखकर चल रहा है। जिला अस्पताल से लेकर जिले भर के स्वास्थ्य केन्द्रों सिविल अस्पतालों में अधिकारी राज चल रहा है, जो निय नये-नये घोटालों को अंजाम देकर जिले सहित प्रदेश की सुर्खियों में बना है। बावजूद इसके कोई जिम्मेदार इनके खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। कुल मिला जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में इन अधिकारियों के हौसले बुदंल बताये जा रहे हैं। क्योंकि बड़े-बड़े घोटालों को अंजाम देने वाले अधिकारियों को सीधे तौर पर बचाकर छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही की जा रही है। सबसे खास बात तो यह है कि इन घोटालों में शामिल सभी अधिकारी अस्पतालों में नियम विरुद्ध तरीके से पदस्थ किये गये हैं, जिन्हें शासन के आदेशों के बाद भी नहीं हटाया जा रहा है। सिविल अस्पताल पिपरिया में अटैचमेंट का खेल खुले तौर पर चल रहा है। शासन के अटैचमेंट आदेश के निरस्तीकरण के बावजूद देवेंद्र पांडेय सहायक ग्रेड 3 की मूल पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) सांडिया है। लेकिन श्री पाण्डेय सिविल अस्पताल में लंबे समय से रेगुलर अकाउंटेंट का प्रभार देख हैं। डॉ ऋचा कटकवार की मूल पदस्थापना जिला अस्पताल है, लेकिन नियम के विरुद्ध सिविल अस्पताल पिपरिया में इनके पास बीएमओ का प्रभार है। जबकि सिविल अस्पताल में मूल पदस्थापना वाले 6-7 डाक्टर हैं, नियमानुसार उन्हें प्रभार नहीं देकर डा. ऋचा कटकवार को बीएमओ बनाकर रखा है। इसी प्रकार ब्रजेश रघुवंशी जो, कि एमपीडब्ल्यू हैं और इनका काम उप स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करना हैं। लेकिन इन्हे भी नियम के विरुद्ध सिविल अस्पताल के टीबी विभाग में एसटीएस का प्रभार वर्ष 2016- 17 से दे रखा है और वर्तमान में भी बीएमओ और सीएमएचओ की मेहरबानी से फिर इन्हे एसटीएस का प्रभार दे दिया गया। इसके साथ ही हाल ही में बीसीएम के पद पर रामगोपाल साहू की नियुक्ति की गई है, जबकि उन्हें कम्प्यूटर संचालन और आशा से सम्बंधित किसी कार्य का कोई ज्ञान ही नहीं हैं, फिर भी इन्हे बीसीएम किस आधार पर बना दिया गया यह समझ से परे है। जबकि उनका पूरा काम ब्रजेश रघुवंशी के द्वारा एसटीएस के साथ मिलकर किया जा रहा हैं। कुल मिलाकर सिविल अस्पताल में प्रभारी अधिकारी और अटैचमेंट पर जमे कर्मचारी मिलकर शासन की योजनाओं को पलीता लगाकर घोटालों में जुटे हैं। शासन के आदेशों की उड़ा रहे धज्ज्यिां स्वास्थ्य संचालनालय मध्यप्रदेश शासन के आदेश क्रमांक /01-जी /विज्ञप्त /सेल-05/2022/691-692 भोपाल दिनांक 16-03-2022 में स्पष्ट कहा गया था की कोविड के दौरान किये गए समस्त संलग्नीकरण तत्काल प्रभाव से समाप्त किये जाते हैं और इसके बाद यदि किसी अधिकारी द्वारा कोई कर्मचारी को अटैच किया जाता हैं तो सम्बंधित के खिलाफ कार्यवाही की जावेगी, लेकिन उसके बाद भी जिले के प्रभारी सीएमएचओ के संरक्षण में अटैचमेंट का खेल जारी हैं। टीवी मरीजों को दी जाने वाली राशि में गड़बड़ी की आशंका एमपीडब्ल्यु ब्रजेश रघुवंशी के कार्यकाल में से टीबी विभाग में आशाओ को दी जाने वाली राशि और टीबी के मरीजों को दी जाने वाली राशि जिनका भुगतान इनके द्वारा किया जा चुका हैं, की जांच हो जाये तो लगभग 20-25 लाख का रूपये का गबन सामने आ सकता है। विभागीय सूत्रों का कहना ह ै कि ब्रजेश रघुवंशी की जांच नहीं की जा रही है, क्योंकि गबन की राशि में बीएमओ से लेकर सीएमएचओ तक का हिस्सा रहता हैं। आशाओं को किया जा रहा परेशान ब्रजेश रघुवंशी के द्वारा एसटीएस के साथ मिलकर जो आशा कार्यकर्ता इनके संपर्क में हैं, उन्हें छोड़कर कई आशाओ और सहयोगी को भी परेशान किया जा रहा हैं और खासतौर पर सबसे ज्यादा प्रताडि़त दलित वर्ग की आशाओ को किया जा रहा हैं, जो बेवजह आशाओ की प्रोत्साहन राशि में कटोत्रा कर रहें हैं साथ ही दलित समुदाय की आशाओ को हटाने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाये जा रहे हैं ये सब इसलिए क्योंकि उन आशाओ द्वारा टीबी विभाग में किये गए फर्जीवाड़े की जाँच के सम्बन्ध में आवाज उठाई थी। इस सम्बन्ध में यदि कोई आशा बीएमओ से शिकायत करती हैं, तो बीएमओ का दो टूक जबाव रहता हैं कि ब्रजेश रघुवंशी जो कर रहे हैं, वो सही हैं। स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों गधे का काम घोड़े से और घोड़े का काम गधे से कराया जा रहा हैं अपने गानों से हर किसी को दीवाना बना लेते है निक सोशल मीडिया पर बोल्डनेस का तड़का लगा रही केंडल जेनर ब्रिटिशकालीन मंदिर पर इस्लामी भीड़ का हमला, काली माता की मूर्ति तोड़ी.., पुलिस के हाथ खाली