वेल्लोर जिले के एक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिखाया और एक ऐसी किट बनाई है, जिसकी मदद से दोपहिया वाहन को हाइड्रोजन से चलाया जा सकता है। इस छात्र ने अपने पिता की बाइक को इस किट की मदद से चलाने में कामयाबी हासिल की है। अपने प्रोजेक्ट के बारे में देवेंद्रिरन ने बताया कि मैंने अपनी बहन जो 10वीं कक्षा की छात्रा है, उसके साथ मिलकर इस पर पूरी लगन से काम किया। हम दोनों ही वेल्लोर जिले के पेनाथुर गांव में गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते हैं। देवेंद्रिरन ने कहा कि अभी इस ईंधन से वाहन को 25 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है, अब मैं इस डिवाइस की क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा हूं। देवेंद्रिरन ने कहा कि इसका मूल्यांकन करने बाद इसे अनुसंधान और विकास के अगले स्तर पर ले जाने पर जोर दिया जाएगा। उसने बताया कि टू-स्ट्रोक वाले दोपहिया वाहनों के लिए इस किट को बनाने में 2500 रुपये का खर्च करने पड़े, जबकि 500 रुपये और खर्च कर इसे फोर स्ट्रोक इंजन वाले दोपहिया वाहनों के लिए बनाया जा सकता है। देवेंद्रिरन ने बताया कि उन्होंने अपने शिक्षक-मार्गदर्शक एन. कोतेश्वरी और जी. मंजुला के साथ मिलकर एक टीम की तरह काम करके यह किट विकसित की है। इसमें नमक मिश्रित पानी से हाइड्रोजन को अलग किया जाता है। देवेंद्रिरन ने बताया कि एक लीटर पानी में तीन चम्मच नमक मिलाया जाता है। इस पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करने के लिए उसे जस्ता (जिंक) और एल्यूमीनियम की प्लेटों के साथ रखा जाता है। इससे इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया से पानी ईंधन टैंक में रहता है और हाइड्रोजन ऊपर एकत्र होती जाती है। एकत्र हुई हाइड्रोजन को ट्यूब के माध्यम से कार्बोरेटर में स्थानांतरित किया जाता है, जो इंजन को किकस्टार्ट करने में मदद करती है। ध्यान देने वाली बात ये है की छात्र ने ये किट मात्र 2500 रुपये में बना दी है। वही देवेंद्रिरन के स्कूल के हेडमास्टर आई. उमादेवन ने कहा कि इस किट में कुछ जरूरी सुधार करने के बाद इसे नेशनल डिजाइन एंड रिसर्च फोरम के विशेषज्ञों के सामने रखा जाएगा। ये भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनी अगले साल तक लांच करेगी इन दो गाड़ियों का पेर्ट्रोल वर्जन.... यही सही समय है Hyundai Grand i10 घर लाने का , जाने वजह रॉयल एनफील्ड अपनी ये बाइक्स बंद करने पर कर रही है विचार, जाने क्या है वजह