ऑटोमोबाइल कंपनियों के करार का आधार होंगे पर्यावरण नियम

अब ऑटोमोबाइल कंपनियों को डीलरशिप करने से पहले पर्यावरण नियमों को ध्यान रखकर करना होगा। केवल डीलरशिप देकर कंपनियां पर्यावरण नियमों के पालन की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऑटोमोबाइल कंपनियों और डीलर के बीच होने वाले करार में पर्यावरण नियमों को विशेषतौर पर उल्लेख करने का निर्देश दिया हैं।

कंपनियों ने अपने जवाब में कहा कि उनका काम डीलर को केवल वाहन बेचना है। उन्हें बेवजह इस मामले में पार्टी बनाया गया है। कंपनियों ने कहा कि वे ऑटोमोबाइल सर्विस सेंटर की पेरेंटल कंपनियां नहीं है। यह जिम्मेदारी डीलर की है कि वो सर्विस सेंटर संचालन के दौरान पर्यावरण नियमों का पालन करें।

कंपनियों के इस जवाब से सहमत एनजीटी ने ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनियों से सवाल किया कि अगर आप पेरेंटल कंपनियां नहीं है, तो फिर ऑथोराइज्ड डीलर लिखे जाने का मतलब क्या है। एनजीटी ने सभी आटोमोबाइल निर्माता कंपनियों और डीलर्स को बैठक आयोजित कर तय करने को कहा कि अगर अभी तक डीलरशिप के करार में पर्यावरण नियमों के पालन का उल्लेख नहीं है तो इस व्यवस्था को तत्काल बदलें। साथ ही भविष्य में जो भी करार हो उसमें पर्यावरण नियमों का पालन किया जाना सुनिश्चित करें।

 

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