अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले साल तक के लिए सुनवाई टाल दी। मुख्य न्यायाधीश ने मामले में कहा कि अब इसकी सुनवाई 2019 में ही होगी। जनवरी में सुनवाई निश्चित की गई है। अब ऐसे में कहा जा सकता है कि जब देश में अगले लोकसभा चुनाव होंगे, उसी वक्त इस मसले पर सुनवाई भी की जाएगी। ऐसे में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के लिए मुसीबत हो सकती है। दरअसल, राम मंदिर मुद्दा हमेशा से बीजेपी का सॉफ्ट चुनावी एजेंडा रहा है और हर चुनाव में पार्टी इसे उठाती रही है। लेकिन इस समय पर जिस तरह से राम मंदिर को लेकर बीजेपी के समर्थक दल ही आवाज उठा रहे हैं और सरकार पर राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि बीजेपी के लिए अब यह राह आसान नहीं होगी। पांच राज्यों के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों के ठीक पहले राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण को लेकर आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, साधु संत समिति मोदी सरकाार को अल्टीमेटम दे चुकी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में विजयादशमी के पर्व पर कहा था किसा सरकार को राम मंदिर के लिए कानून बनाना चाहिए। वहीं संतों ने भी बीजेपी सरकार से साफ कह दिया है कि अगर अब मंदिर निर्माण में देरी हुई, तो वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे में बीजेपी के लिए खुद को मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध दिखाना जरूरी हो गया है, क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती है, तो इस मुद्दे को लेकर उसके सबसे बड़े समर्थक उससे किनारा कर सकते हैं, जो मोदी सरकार हरगिज नहीं चाहेगी। जब कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है और चुनाव और सुनवाई एक ही समय हो सकते हैं, ऐसे में बीजेपी के पास एक ही रास्ता है कि वह मंदिर निर्माण के लिए सदन के आगामी सत्र में एक विधेयक रखे। अगर भाजपा ऐसा करती है, तो उसे इससे काफी फायदा होगा? दरअसल, अगर सरकार सदन में मंदिर के लिए विधेयक रखती है, तो हिंदू धर्म को मानने वालों में यह संदेश जाएगा कि सरकार मंदिर निर्माण चाहती है, वहीं इस समय विपक्ष जिस तरह से मंदिर की राजनीति कर रहा है, उसे भी अपना मत स्पष्ट करना होगा। अगर कांग्रेस विधेयक का विरोध करती है, तो सरकार को कांग्रेस को इस मसले पर घेरने का मौका मिल जाएगा और अगर कांग्रेस अपने हिंदुत्व के नए एजेंडे के तहत विधेयक का समर्थन करती है, तो उसकी महागठबंधन की कोशिशों को झटका लगेगा और हो सकता है कि गठबंधन बिखर भी जाए। अगर ऐसा हुआ, तब भी बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा और वह आगामी चुनावों में फिर से सत्ता में आ सकती है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो राम जन्मभूमि पर सुनवाई टलना एक तरह से बीजेपी के लिए जीत की बूटी साबित हो सकती है। अगर बीजेपी इस मौके का सही फायदा उठा लेती है, तो अगले लोकसभा चुनाव में उसकी जीत सुनिश्चित हो सकती है। जानकारी और भी शिवराज बने खुद के लिए मुसीबत!! सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट जाने की अनुमति देने वाला अनुच्छेद 32 आखिर है क्या? क्या बच पाएगी सीबीआई की साख? मंदिरों के सहारे वनवास खत्म करने की जुगत में कांग्रेस