एक ओर जहां भारत पाश्चात्य प्रभाव में है वहीं दूसरी ओर योग गुरू बाबा रामदेव योग और स्वदेशी औषधियों और उत्पादों के प्रचार - प्रसार से भारतीयता का अलख जगाने में लगे हैं। यूं तो कालेधन, भारतीयता, भारतीय राजनीति और योग को तेजी से करने के कारण कुछ लोग उनकी आलोचना करने लगते हैं मगर बाबा रामदेव अपने आलोचकों से इतर भारतीयता का अलख जगाने में लगे हैं। कभी पुत्र जीवक औषधि के नाम पर तो कभी पतंजलि के नूडल्स के नाम पर लोग उनका विरोध करने लगते हैं। मगर बाबा रामदेव योग का अलख जगाते हैं और इसका प्रभाव यह है कि हर व्यक्ति चाहे वह टाई पहनता हो या फिर विदेशी स्टाईल की उंची हिल की सेंडल पहनने वाली महिला हो हर कोई योग करता हुआ नज़र आता है। योग के प्रभाव को आज भी लोग मानते हैं। आखिर लोग अब मानने लगे हैं कि करने से ही होगा, योगा। जी हां, भारतीय योग का दर्शन विदेशों में तो लोगों के बीच प्रभाव छोड़ रहा है लेकिन भारत में भी अपनी संस्कृति और अपनी जड़ों से अलग हो चुके लोगों के बीच योग बेहद लोकप्रिय है। हालांकि अब योग को योगा के तौर पर और पाॅवर योगा के रूप में पसंद किया जाता है। मगर फिर भी योग का विशेष प्रभाव है। कुछ समय पहले योग गुरू बाबा रामदेव भारतीय टेलिविज़न चैनल पर प्रसारित एक कार्यक्रम में योग का प्रदर्शन करने लगते तो वहां बैठे सभी लोगों के बीच एक प्रभाव निर्मित हो गया। इस प्रभाव ने सभी के बीच भारतीयता की चमक बिखेर दी। बाबा रामदेव को निशाने पर लेने वालों को तक बगले झांकने पर मजबूर होना पड़ा और बाबा रामदेव ने साबित कर दिया कि तनाव दूर करना हो या फिर कालेधन का ढेर समाप्त होने पर बढ़ा बीपी हो सभी योग करने से ही दूर होगा।