बाबर ने खुद लिखी मंदिर तोड़ने की बात, फिर भी 'संभल मस्जिद' पर क्यों विवाद?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद पर हुए विवाद और हिंसा ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। यह विवाद हिंदू पक्ष द्वारा किए गए उस दावे के इर्द-गिर्द घूम रहा है जिसमें कहा गया है कि मस्जिद को एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1875 की रिपोर्ट और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों का हवाला दिया गया है। विशेष रूप से बाबरनामा का उल्लेख इस दावे को मजबूती प्रदान करता है।

बाबरनामा में खुद बाबर का दावा:-   बाबरनामा, जो मुग़ल सम्राट बाबर की आत्मकथा है, में इस मस्जिद से जुड़े दावे का आधार मिलता है। बाबरनामा के ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट बेवरिज द्वारा अनुवादित संस्करण के पृष्ठ 687 पर लिखा गया है कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के एक हिंदू मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद में परिवर्तित किया। याचिकाकर्ताओं ने इस विवरण को अपने दावे की मुख्य बुनियाद बनाया है। इसके साथ ही, मस्जिद में मौजूद एक शिलालेख का भी हवाला दिया गया है, जिसमें लिखा गया है कि मस्जिद का निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा किया था।

ASI की रिपोर्ट और पुरातात्विक प्रमाण:-   भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 1875 की रिपोर्ट में भी यह दावा किया गया है कि मस्जिद के निर्माण में इस्तेमाल हुए खंभे और अन्य संरचनात्मक अवशेष पुराने हिंदू मंदिरों से लिए गए थे। रिपोर्ट में दर्ज है कि मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिर के विशिष्ट खंभों को प्लास्टर से ढकने की कोशिश की गई। जब प्लास्टर हटाया गया, तो हिंदू शैली के खंभे और डिज़ाइन स्पष्ट रूप से दिखाई दिए। 

हिंसा का कारण:-   कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था। पहले चरण का सर्वे 19 नवंबर को रात में हुआ और दूसरा 24 नवंबर को। दूसरे दिन जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, तो इसका विरोध करते हुए बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हो गए। विरोध प्रदर्शन ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 20 लोग घायल हो गए। गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव और वाहनों में आगजनी की, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। 

इस घटना पर अलग-अलग दलों ने प्रतिक्रिया दी। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा कि दोबारा सर्वे कराना सरकार की साजिश है, जबकि भाजपा नेताओं ने हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही। असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस पर गोलीबारी का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। मामले की जांच और सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी। इसमें बाबरनामा और एएसआई की रिपोर्ट जैसे ऐतिहासिक साक्ष्यों की समीक्षा की जाएगी। इस प्रक्रिया से मस्जिद और मंदिर विवाद की वास्तविकता सामने आने की उम्मीद है। 

बाबरनामा और एएसआई की रिपोर्ट दोनों ही इस मामले में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये विवाद के ऐतिहासिक और पुरातात्विक पहलुओं को उजागर करते हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय कानूनी प्रक्रिया और तथ्यों की गहन समीक्षा पर निर्भर करेगा।

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