लखनऊ: सपा से गठबंधन के बाद बसपा को जो प्राणवायु मिली है, उससे अब पार्टी 2022 में विधायकों का दोहरा शतक मारने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए बाकायदा बसपा ने तैयारियां आरंभ कर दी हैं। यह तैयारियां गठबंधन की गांठों के खुलने के बाद बनी 'सियासी जमीन' पर शुरू की गई हैं। बसपा के नेताओं का कहना है कि सपा के खिसके जनाधार को बसपा अपनी शक्ति बनाने में लग गई है। इसके लिए जीते हुए सांसदों को लक्ष्य दिया गया है। योजना है कि तीन वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में बसपा सुप्रीमो मायावती सोशल इंजिनियरिंग के साथ साथ मुस्लिम चेहरों को टिकटों में वरीयता देंगी। इस लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार जोरदार तरीके से नीचे खिसका था, जिसका लाभ अब बसपा उठाना चाहती है। 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले सपा का वोट प्रतिशत पांच फीसदी के लगभग खिसक कर साढ़े सत्रह प्रतिशत ही रह गया। खासकर मुस्लिम समुदाय पर बसपा की पूरी निगाह है। बसपा ने इस समुदाय को रिझाने के लिए गठबंधन के दौरान ही तैयारियां आरंभ कर दी थीं। सहारनपुर के देवबंद में हुई पहली गठबंधन की रैली में मायावती ने जब मुस्लिमों से 'वोट देने की अपील' की तो निर्वाचन आयोग ने मायावती पर दो दिनों के लिए प्रचार की बैन लगा दिया था, लेकिन इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने जो संदेश देना चाहा था वह उन्होंने मुस्लिम समुदाय को दे दिया। बसपा के एक नेता ने बताया कि उनकी पार्टी के पास उनका अपना परंपरागत वोट बैंक अब भी कायम है। अगर कोई और सपोर्टिंग वोट बैंक विशेषकर मुस्लिम समुदाय अगर उनके साथ आ जाए तो विधानसभा में पार्टी को जोरदार समर्थन मिल सकता है। भारत से बात करने के लिए तड़प रहा पाक, इमरान खान ने फिर लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी अयोध्या पहुंचे सीएम योगी, शोध संस्थान में भगवान राम के कोदंड स्वरूप की प्रतिमा का किया अनवारण एयरस्ट्राइक की दहशत से अब तक नहीं उबर पाया पाक, सिर्फ दो एयरस्पेस खोले