बाइबल में 'नेफिलीम युग का है पूर्ण उल्लेख

हिन्दू पुराणों में जिस तरह से विशालकाय मानवों की चर्चा मिलती है उसी तरह बाइबल में भी इसका जिक्र किया गया है।इसके साथ ही  हिन्दू पौराणिक कथाओं अनुसार आदिकाल में विशालकाय मानव ही नहीं पशु और प‍क्षी भी होते थे। वहीं कहते हैं गरुड़ नामक उकाब इतना विशालकाय था कि वह अपने पंजों से हाथी को उठा कर ले जाता था। कुछ इसी तरह का जिक्र बाइबिल में नेफिलीम युग के बारे में किया गया है। इसके साथ ही ईसाई धर्म पुस्तक बाइबिल के अनुसार 'नेफिलीम' युग में इस तरह के लोग थे, जो स्वर्ग से बहिष्कृत किए गए थे।वहीं इन लोगों ने धरती की सुंदर-सुंदर स्त्रियों को देखा और उनका मन बदल गया। इसके अलावा पहले तो उन्हें यहां रहकर परमेश्वर के लिए कार्य करना चाहिए था परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया और वें अपने पसंद की महिलाओं के साथ रहने लगे। बाइबल कहती है कि ऐसा करना गलत था। परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग में रहने के लिए बनाया था, लेकिन वे धरती की सुंदर महिलाओं के प्रति आकर्षित हो गए।इसके साथ ही उन्होंने दुनिया को अपने तरीके से चलाया। इन्हीं को 'नेफिलीम' कहा जाता था।- उत्पत्ति 6:1-8; यहूदा 6. वहीं उन्होंने मनुष्यों की एक नई जाति को जन्म दिया और वे मनुष्‍यों को परमेश्वर का रहस्यमयी ज्ञान देने लगे। मनुष्य भी आदम और हव्वा के दिए हुए श्राप से बचने के लिए इस ज्ञान को ग्रहण करने लगे। बाइबल के अनुसार नेफिली लोग अनैतिकता, व्यभिचार और अनेक कामवासनाओं से युक्त थे। उन्हें दानव भी कहा जाता था। उन्होंने धरती को लोगों को बिगाड़ दिया था और चारों और दुष्टता फैल गई थी। 

वहीं तब परमेश्वर ने धरती पर विनाश लाने की योजना बनाई और उन्होंने नूह को चुना जिससे उसके माध्यम से एक नई मानव जाति को विकास हो। उत्पत्ति 6:4 भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। इसके साथ ही शोधकर्ता मानते हैं कि उनमें से बचे कुछ 'नेफिलीम' आज भी धरती पर मौजूद हैं। वे हमें इसलिए दिखाई नहीं देते है, क्योंकि या तो वे हिमालय की अनजान जगहों पर रहते हैं या पाताल की गुप्त सुरंगों में। सामान्य मानव उन्हें या तो देवदूत कहता या राक्षस। इस तरह धरती पर एक नए तरह का युग शुरू हुआ और नए तरह का संघर्ष भी बढ़ने लगा और सभी तरफ एलियंस का ही साम्राज्य हो गया। लोग रक्त-शुद्धता पर जोर देने लगे। बाइबल के अनुसार प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल (या मीकाइल) जिबराइल हैं।

 प्रकाशित वाक्य की किताब में वह इब्लीस और उसकी दुष्टात्माओं के साथ युद्ध लड़ रहा है। मीकाएल नाम का मतलब है : 'परमेश्वर जैसा कौन है?'। -(यहूदा 9) बाइबल के अनुसार स्वर्गदूत व्यक्तिगत आत्माएं होती हैं, जो बुद्धि, भावनाएं और स्वेच्छा रखती हैं। भले और बुरे (दुष्टात्मा) दोनों प्रकार के स्वर्गदूत ऐसे होते हैं। बाइबल कहती है : 'मीकाइल और उसके स्वर्गदूत, अजगर और उसके दूतों से लड़े।' (प्रकाशित वाक्य 12:​7) स्वर्गदूत मनुष्यों से बिलकुल अलग स्तर के प्राणी हैं। मनुष्य मरने के बाद स्वर्गदूत नहीं बन जाते हैं। स्वर्गदूत भी कभी मनुष्य नहीं बनेंगे और न कभी मनुष्य थे। परमेश्वर ने ही स्वर्गदूत की सृष्टि की, जैसे कि उसने मानव जाति को बनाया। इस थ्योरी के जन्मदाता बाइबल का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि नूह के दिनों में स्वर्ग से गिरे हुए स्वर्गदूतों को पाया जाता था। मनुष्य की सहायता के लिए स्वर्गदूतों का एक गुट धरती पर उतरा जिन्होंने मनुष्य की पुत्रियों द्वारा नेफिलीम जाति के लोगों को जन्म दिया। इस दौरान वे स्वर्गदूत मनुष्य को परमेश्वर के रहस्यमय ज्ञान को देने लगे। आदम और हव्वा के कारण उपजे उस श्राप से जीतने के लिए मनुष्य ने इस रहस्यमय ज्ञान का उपयोग किया। वहीं नेफिलीम लोग अनैतिकता, व्यभिचार और हर एक काम-वासना में लिप्त थे।

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