पुणे: पुणे हिट एंड रन मामले में अपराधी के बालिग या नाबालिग होने को लेकर अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। हालांकि फिलहाल उसकी जमानत को रद्द कर दिया गया है। अपराधी को 5 जून तक बाल सुधार गृह भेजने का आदेश दिया गया है। नाबालिग अपराधी के बाल सुधार गृह रहने के चलते जुवेनाइल अदालत उसके वयस्क होने पर फैसला सुना सकती है। या फिर उसे 5 जून के आगे भी ऑब्जर्वेशन में रखा जा सकता है। 3 दिन पहले इसी अदालत ने अपराधी को जमानत दे दी थी। नाबालिग अपराधी को दी गई जमानत को अब इसी जुवेनाइल अदालत ने रद्द कर दिया, तत्पश्चात, मामले ने तूल पकड़ लिया था। पुणे पुलिस द्वारा नाबालिग अपराधी को वयस्क ठहराने की अर्जी फिलहाल पेंडिंग रहेगी। नियम के अनुसार, पुलिस को आरोपी की वयस्कता तय करने के लिए एक महीने के भीतर आरोपपत्र दाखिल करना होगा। तत्पश्चात, ससून चिकित्सालय में मनोचिकित्सक के पास उसे ले जाया जाएगा एवं उसकी रिपोर्ट बाल सुधार गृह के प्रोबेशन ऑफिसर से ली जाएगी। 3 महीने की अवधि के अंदर बाल अधिकार न्यायालय यह तय करेगा कि नाबालिग अपराधी वयस्क या नहीं। उधर, अपनी महंगी पोर्शे कार से बाइक को टक्कर मारने वाले नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को कोर्ट ने बुधवार को 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। पुलिस ने नाबालिग किशोर के बारे में यह दावा किया कि वह नशे में था। अदालत से 7 दिन की रिमांड मांगी गई थी केवल 2 दिन की कस्‍टडी ही सौंपी गई। पुलिस ने कहा कि ऐसे कई सवाल हैं, जिसके जवाब नाबालिग के पिता से उगलवाने हैं तथा इसलिए उनकी हिरासत की आवश्यकता है। कोर्ट को बताया गया कि यह जानते हुए भी कि बेटा नाबालिग है, पिता विशाल अग्रवाल ने उसे ना सिर्फ कार दी, बल्कि पब में पार्टी करने की अनुमति भी दी। यह सवाल भी उठाया गया कि वाहन का RTO रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं कराया गया? हिमंत बिस्वा सरमा सरकार को उलटा पड़ा योगी का बुलडोजर मॉडल, 5 परिवारों को देने पड़े 30 लाख रुपये 12 वर्षीय बेटी से दरिंदगी करता था पिता, प्रेग्नेंट होने पर हुआ खुलासा 4380 दिनों तक गुस्सा मन में लेकर बैठी थी बहू, ससुराल आते ही दे दिया ससुर-देवर को जहर