बजरंग बली को शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता के रूप में माना गया है। नित्य हनुमानजी की पूजा आराधना करने वाले को कभी न तो किसी तरह की परेशानी ही सामने आती है और न ही संकट सामने आता है। बजरंग बाण का पाठ करने से तो सारी समस्याओं का अंत ही हो जाता है। हम अपने पाठकों के लिए यहां बजरंग बाण का मूल पाठ दे रहे है, आशा है यह श्रद्धालु पाठकों के लिए उपयुक्त सिद्ध होगा। दोहा : निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई : जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख... जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर..जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥ उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु... हनुमंता॥ ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥ अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥ यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥ पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै... प्रान की॥ यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥ धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥ दोहा : उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान। बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥ पृथ्वी दिवस : आओ पर्यावरण संतुलन का संकल्प लेवें समाधान योजना का लाभ लेने का आव्हान