स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक भारतीय इतिहास में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। बाल गंगाधर तिलक को आज के भारत का निर्माता भी कहा जाता है। भारत की आजादी में भी इनका प्रमुख योगदान रहा है और इन्हें महान समाज सुधारक भी कहा जाता है, हालांकि इन सबके बावजूद एक ऐसा मौका आया जब इन्हें 'आतंकवाद के जनक' की संज्ञा दे दी गई। दरअसल, मामला यह है कि मई 2018 में राजस्थान की एक किताब ने बाल गंगाधर तिलक को 'आतंकवाद का जनक' कहा था। बाद में इसका जमकर विरोध हुआ था। जहां उस समय महाराष्ट्र के पुणे की महापौर और बाल गंगाधर तिलक के परपोते शैलेष की पत्नी मुक्ता तिलक ने इस पर कड़ा एतराज जताया था और इसे बेहद शर्मनाक हरकत उन्होंने करार दिया था। उनका इस पर कहना था कि उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी थी और अपने जीवन के 50 साल उन्होंने देश को दिए थे, इसके बावजूद उनके ख़िलाफ़ इस तरह का कृत्य शर्मनाक है। बता दें कि बाल गंगाधर तिलक भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। 1856 में जन्मे बाल गंगाधर साल 1890 में कांग्रेस से जुड़े और उन्होंने देश के लिए काम करना शुरू किया। 1997 में अंग्रेजी हुकूमत ने उन पर यह आरोप मढ़ा कि वे भड़काऊ भाषण देते हैं और इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा। वे डेढ़ साल तक जेल में ही रहें। वहीं साल 1906 के विद्रोह में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया और दो साल बाद उन्हें फिर जेल जाना पड़ा। इस दौरान वे 6 साल जेल में रहें। जहां उन्होंने जेल में रहते हुए अपनी प्रसिद्द किताब 'गीता रहस्य लिखीं। बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता की निर्मम हत्या, पार्टी ने किया 12 घंटे बंद का ऐलान इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों को संक्रमित नहीं कर सकता कोरोना त्रिपुरा में कोरोना से एक और मौत, संक्रमितों की संख्या हुई 2282