चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के क़त्ल के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को आजीवन कारावास में बदलने की मांग वाले मामले पर आज बुधवार (3 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में बलवंत सिंह राजोआना को शीर्ष अदालत से कोई राहत नहीं मिली है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राजोआना की सजा पर गृह मंत्रालय द्वारा शीघ्र फैसला लिया जाए. राजोआना करीब 27 वर्षों से जेल में बंद है. उसकी दया याचिका भी 10 साल से अधिक वक़्त से केंद्र सरकार के पास लंबित है. सरकार ने अभी तक उस पर निर्णय नहीं लिया है. दरअसल, बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने संबंधित अधिकारियों को फैसला लेने के लिए कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि सजा पर फैसला तब लिया जाए, जब उन्हें आवश्यक लगे. बता दें कि, 1995 में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह का राजोआना ने क़त्ल कर दिया था. इसके बाद कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी. फिलहाल, शीर्ष अदालत ने इस मामले को सुनवाई के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है. कोर्ट ने कहा है कि गृह मंत्रालय राजोआना की तरफ से दाखिल की गई दया याचिका पर शीघ्र फैसला करें. दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि IB की रिपोर्ट कहती है कि बलवंत सिंह राजोआना को राहत प्रदान करने से पंजाब में कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है. बलवंत सिंह बीते 27 वर्षों से जेल की काल कोठरी में बंद है. उसने जेल में काफी लंबा समय बिताया है. इसी को आधार बनाकर राजोआना ने कहा कि उसे फांसी की जो सजा सुनाई है, उसे बदल दिया जाए. इसके बदले उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाए. बलवंत सिंह राजोआना ने इस संबंध में राष्ट्रपति से भी गुहार लगाई है. मगर, उसकी दया याचिका मार्च 2013 से ही राष्ट्रपति के पास पेंडिंग पड़ी हुई है. एयरलाइन Go First के पास फ्यूल भराने का भी पैसा नहीं, कई फ्लाइट्स कैंसिल, कैसे हुआ ये हाल ? 'आडवाणी को जेल भेजा था, अब धीरेन्द्र शास्त्री को भी भेजेंगे..', बिहार में दरबार से पहले सियासी बवाल दिल्ली में प्रोफेसरों की नियुक्ति में भी हुआ घोटाला! सामने आई बड़ी धांधली, LG ने दिए जाँच के आदेश