ढाका: बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने स्वीकार किया है कि म्यांमार से भागकर भारत और बांग्लादेश आए रोहिंग्या मुसलमानों ने देश (बांग्लादेश) के सामाजिक ताने बाने और अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाया है। इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार (23 सितंबर, 2022) को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने संयुक्त राष्ट्र से ‘प्रभावी भूमिका’ निभाने का आग्रह किया है। बांग्लादेशी पीएम ने आगे कहा कि बांग्लादेश में रोहिंग्याओं की लम्बे समय तक उपस्थिति ने अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, सुरक्षा और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाला है। रोहिंग्याओं के कारण देश में व्यापक निराशा है। रोहिंग्याओं की वजह सीमा पार से ड्रग्स-मानव तस्करी सहित संगठित अपराधों के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर रोहिंग्या मुस्लिमों की यही स्थिति बनी रहती है, तो इससे देश में कट्टरता को बढ़ावा मिल सकता है। यदि रोहिंग्या समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो ये क्षेत्र और उसके बाहर की सुरक्षा और स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। पीएम शेख हसीना ने वर्ष 2017 में शुरू हुए म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों के पलायन को लेकर याद करते हुए कहा कि नाएप्यीडॉ (म्यांमार की राजधानी) और संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ जुड़े होने के बाद भी अब तक एक भी रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में उनके पुश्तैनी घर वापस नहीं भेजा गया है। उन्होंने कहा कि देश में जारी सियासी उथल-पुथल और हथियारों के संघर्ष ने रोहिंग्याओं की घर वापसी को और भी कठिन बना दिया है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि संयुक्त राष्ट्र इस संबंध में प्रभावी भूमिका निभाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि, 'हमें यह साबित करने की आवश्यकता है कि संकट के वक़्त में संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षीय व्यवस्था की बुनियाद है। इसलिए, सभी स्तरों पर लोगों का भरोसा और आत्मविश्वास हासिल करने के लिए, UN को अगुवाई करते हुए सभी की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहिए। बांग्लादेश का मानना है कि युद्ध, आर्थिक प्रतिबंध या जवाबी प्रतिबंध जैसी शत्रुता से कभी किसी देश का भला नहीं हुआ है। संकटों और विवादों को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका वार्ता ही है।' बता दें कि, रोहिंग्या मुस्लिमों की समस्या भारत में भी काफी बड़ी है, कई अपराधों में रोहिंग्याओं के नाम सामने आते हैं। लेकिन, भारत में कई सियासी दल अपने वोट बैंक के लाभ के लिए रोहिंग्याओं का पक्ष ले रहे हैं, जिससे देश के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है। भारत सरकार को भी इस मामले में बांग्लादेशी पीएम की तरह स्पष्ट होने की आवश्यकता है, आखिर भारतीयों का हक़ मारकर रोहिंग्याओं को क्यों दिया जाए ? हर साल 25 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है 'विश्व फार्मासिस्ट दिवस' ? दीवार तोड़कर घर में घुस गया पूर्व पति, और फिर जो किया वो कर देगा हैरान द ग्रेट खली से भी लंबी है ये लड़की, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम