नई दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं। एक सप्ताह पहले ही शीर्ष अदालत ने उन्हें न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट करने के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिया था और उन पर सजा के रूप में एक रुपए का जुर्माना लगाया था। जहां सुप्रीम कोर्ट की इस सजा को सांकेतिक माना गया था, वहीं कई लोगों ने इसे प्रशांत की जीत बताया था। अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी इस मामले में जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। BCI ने कहा है कि प्रशांत द्वारा न्यायपालिका पर किए गए ट्वीट्स का गहन परीक्षण किया जाएगा। वकीलों और कानूनी शिक्षा की नियामक संस्थान BCI ने शुक्रवार को कहा कि उसने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को इस संबंध में जांच के आदेश दिए हैं और कानून और नियमों के अनुसार, इस मामले पर फैसला करने के लिए कहा है। आपको बता दें कि प्रशांत भूषण दिल्ली बार काउंसिल में ही वकील के रूप में शामिल हैं। एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24ए के तहत यदि कोई वकील नैतिक भ्रष्टता से संबंधित किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे दो वर्ष के लिए कानूनी प्रैक्टिस से अयोग्य किया जा सकता है। बार काउंसिल ने कहा कि महापरिषद ने गुरुवार को शीर्ष अदालत के तीन जजों- न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी के उस फैसले पर चर्चा की, जिसमें भूषण को दोषी पाया गया और दरियादिली दिखाते हुए उन पर सांकेतिक जुर्माना लगाया गया। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंग्ला बोले- LAC पर 1962 के बाद पहली बार इतने ख़राब हुए हालात देश में फिर टूटा एक दिन में सबसे अधिक कोरोना मामलों का रिकॉर्ड, मौत के आंकड़ों ने भी डराया सिर पर बैंक का भारी कर्ज और बारिश में फसल बर्बाद..... हारकर किसान ने दे दी जान