बस एक चुप सी लगी है - गुलज़ार

बस एक चुप सी लगी है ...

बस एक चुप सी लगी है, नहीं उदास नहीं! कहीं पे सांस रुकी है! नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!

कोई अनोखी नहीं, ऐसी ज़िन्दगी लेकिन! खूब न हो, मिली जो खूब मिली है! नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!

सहर भी ये रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन! हमीने शाम चुनी, हमीने शाम चुनी है! नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!

वो दासतां जो, हमने कही भी, हमने लिखी! आज वो खुद से सुनी है! नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!

 -गुलज़ार

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