बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। उसे दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट से तथा सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है। ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4: 00 बजे से स्नान आरम्भ हो जाएगा सूर्यास्त शाम 5 बजकर 45 मिनट तक स्नान किया जा सकता है। बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बागीश्वरी जयंती के नाम से भी यह जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस दिन गंगा स्नान करने का खास महत्व है इसी दिन आम्रपाली मंजरी खान की भी प्रथा है। इस दिन लेखनी पूजन भी की जाती है। कई जगहों पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर बाकायदा पूजा-अर्चना की जाती है। वही इस सरल विधि से घर पर करें पूजन- सृजन, ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान की देवी सरस्वती मां का पूजन होगा। मां सरस्वती को पीली साड़ियां, पर्दे, मिठाई एवं फूल चढ़ाएं। सरस्वती पूजा चंद्र, ब्रहस्पति, शुक्र एवं बुध के हानिकारक प्रभावों को बहुत हद तक कम कर देती है। घर में प्रातः सफाई कर स्नान कर पूजा-अर्चना कर माता का आह्वान करें। मां सरस्वती को आम के पत्ते, केसर, हल्दी, अक्षत, तिलक, कलश, सरस्वती यंत्र, दूर्वा घास भी चढ़ाए। प्रभु श्री गणेश की भी पूजा अर्चना करे। छात्र किताब, कलाकार संगीत वाद्य यंत्र का पूजन करें। बसंत पंचमी का दिन शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम- बसंत पंचमी का दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत उत्तम माना गया है। इस दिन शादी-विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह-प्रवेश एवं खरीदारी की जाती है। कहते हैं कि इस दिन शादी के बंधन वाले लोगों को सभी देवी-देवताओं का खास आशीर्वाद मिलता है तथा जोड़े का बंधन सात जन्मों तक रहता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान महादेव एवं माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था। इसलिए यह दिन शादी के लिए बहुत शुभ माना गया है। गुप्त नवरात्रि में करें इन 10 महाविद्याओं के चमत्कारी मंत्रों का जाप, दूर होगी हर समस्या आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन, जानिए कैसे हुई मां त्रिपुरसुंदरी की उत्पत्ति? मां दुर्गा को 9 दिन लगाएं ये भोग, पूरी होगी हर मनोकामना