आज भी बातों-बातों में हम जो कहावत का इस्तेमाल करते हैं उसका भी वास्तव में महत्व होता है और यह कहावत कोई आज कि नहीं है बल्कि आदिकाल के समय से चली आ रही है। आज भी हम बूढ़े-बुजुर्ग लोगों के तजुरबों को अपनाते है। ऐसी ही कुछ नीतियां आचार्य चाणक्य ने बतायी है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन को अगर फलदायी और सुखमयी बनाना है तो इसके लिए उन्होने कुछ नीतियों का बताया है जो आज भी मानव के काम आती हैं उन्ही में से कुछ खास बातें आज हम आपके लिए लेकर आये हैं जिसे अगर आपने अपने जीवन में अपना लिया तो निश्चित ही आप सफलता को पा लेंगे तो चलिए देखते हैं कि आखिर वो कौन सी मुख्य बातें है जिसे जीवन मे अपनाना चाहिए। वृद्ध पुरुष के लिए नव यौवन- चाणक्य ने कहा है कि वृद्ध पुरुष के लिए नव यौवन जहर के समान होता है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जरुरी है कि पति और पत्नी एक-दूसरे से मानसिक और शारीरिक रूप से संतुष्ट हो, लेकिन अगर किसी जवान स्त्री का विवाह किसी वृद्ध व्यक्ति से कर दिया गया तो दोनों एक-दुसरे से संतुष्ट नहीं रह पाएंगे। ऐसे में पत्नी गलत मार्ग पर जा सकती है और पुरुष को समाज में बदनामी का सामना करना पड़ता है। अभ्यास के बिना शास्त्रों का ज्ञान- चाणक्य ने कहा है कि अभ्यास के बिना शास्त्रों का ज्ञान किसी भी व्यक्ति के लिए जहर के समान है। ऐसा व्यक्ति खुद को शास्त्रों का ज्ञाता बताता है, लेकिन बाद में उसे अपमान का सामना करना पड़ता है। ख़राब पेट के लिए भोजन- वैसे तो भोजन हमारे जीवन के लिए बहुत जरुरी है, लेकिन चाणक्य ने कहा है कि जिस व्यक्ति का पेट ख़राब होता है उसके लिए भोजन विष के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के सामने छप्पन भोग होने पर भी वह विष के समान है. इसलिए जब तक व्यक्ति पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, उसे स्वादिष्ट भोजन से दूर ही रहना चाहिए। गरीब व्यक्ति के लिए समारोह- किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह करना या फिर किसी समारोह में जाना विष के सामान है। क्यों कि समारोह में लोग अच्छे कपडे पहनकर आते है,जिससे गरीब व्यक्ति को अपमान का अहसास होता है। इसलिए स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह में जाना विषपान के समान होता है। भगवान राम का जन्म अयोध्या में नहीं बल्कि पाकिस्तान में हुआ था इस समय किया गया कोई भी कार्य हमेशा असफल ही होता है मोदी और रामनाथ कोविंद भी इस महाकुम्भ में शामिल हुए जल्द ही ऐसे ख़त्म करें नजरदोष के बुरे प्रभाव को