इस वजह से महाभारत में अर्जुन श्रेष्ठ माना गया

महाभारत के मुख्य पात्र अर्जुन को सबसे श्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है इसके साथ ही वह भगवान कृष्ण के परम मित्र भी कहे जाते है महाभारत के युद्ध से पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट स्वरूप के दर्शन दिए थे. क्या आप जानते है अर्जुन को महाभारत के सभी पात्रों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. आइये जानते है अर्जुन में वह कौन से ख़ास गुण थे जिसके कारण वह सबसे श्रेष्ठ थे?

व्यक्तित्व – अर्जुन का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था जिसकी वजह से सभी उनसे प्रभावित हो जाते थे भगवान कृष्ण के अनुसार अर्जुन के व्यक्तित्व पराक्रम व बुद्धिमानी में अन्य कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता था. अर्जुन का यही गुण उन्हें सबसे श्रेष्ठ बनाता है.

गजब सी स्फूर्ति – सभी जानते है की अर्जुन जैसा धनुर्धन दूसरा कोई भी नहीं था इसका कारण अर्जुन के हांथों में गजब सी स्फूर्ति है जिससे वह बहुत ही तेजी से बाण चलाते थे.

शक्ति – अर्जुन अपनी बुद्धि व शक्ति के लिए भी जाने जाते है अपनी बुद्धि व बल के कारण ही उन्होंने नीतियों का निर्माण कर अपने बहुत से शत्रुओं का नाश किया था.

पराक्रमी गुण – अपने पराक्रमी गुण के कारण महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने विकट से विकट परिस्थिति को आसानी से पार किया. यह गुण महाभारत के किसी भी पात्र में नहीं था.

उचित समय व शीघ्रता – कहा जाता है की किसी भी कार्य को करने का एक उचित समय होता है उस समय में यदि किसी भी कार्य को किया जाता है तो उसमे सफलता मिलना निश्चित है अर्जुन को एस बात का भलीभांति ज्ञान था जिसके कारण वह किसी भी कार्य में विलम्ब नहीं करते थे शीघ्रता से वह अपने उस कार्य को पूर्ण करते थे. 

 

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