बिना परीक्षा के बन गए डॉक्टर ? विदेश से लौटे 73 मेडिकल स्टूडेंट्स पर CBI ने दर्ज की FIR

नई दिल्ली: क्या बगैर परीक्षा के डॉक्टरी की पढ़ाई करना और डॉक्टर बनना संभव है? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी इस मामले में फर्जीवाड़ा साफ दिखाई दे रहा है। मंत्रालय की शिकायत पर अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे 73 छात्रों के खिलाफ केस दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया है कि जांच के दायरे में वे लोग भी हैं, जिन्होंने 2011 से 2022 के बीच रूस, यूक्रेन और चीन में मेडिकल की पढ़ाई की थी। इन सभी छात्रों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़ी IPC की धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है।

भारतीय चिकित्सा संबंधी मौजूदा नियमों के मुताबिक, कोई भी स्टूडेंट जिसने विदेश में किसी संस्थान से चिकित्सा की पढ़ाई की है, उसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) या राज्य चिकित्सा परिषदों (SMC) के साथ स्थायी पंजीकरण प्राप्त करने के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) नामक एक स्क्रीनिंग परीक्षा पास करनी होती है और भारत में डॉक्टरी की प्रैक्टिस करनी होती है। CBI को अपनी शिकायत में, स्वास्थ्य मंत्रालय में एक अवर सचिव ने 12 सितंबर और 17 अक्टूबर को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) से प्राप्त दो पत्रों का हवाला दिया, जिसमें बताया गया था कि इसने 73 ऐसे छात्रों की पहचान की थी, जिन्होंने NBE के मुताबिक, स्क्रीनिंग टेस्ट क्वालीफाई नहीं किया था। 

देश में विभिन्न SMCS के साथ पंजीकरण प्राप्त करने का अनुमान था। NBE ने इन 73 उम्मीदवारों की लिस्ट भी प्रदान की, जिसमें SMC के साथ उनके पंजीकरण का विवरण निर्दिष्ट किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, यह संदेह है कि एक संगठित रैकेट इस मामले में साजिश रच रहा है, जिसके जरिए छात्रों ने रिश्वत के बल पर राज्य चिकित्सा परिषदों के साथ अपना पंजीकरण कराया। इन परिषदों में कुछ अधिकारियों की भूमिका की पड़ताल की जा रही है। एजेंसी इन 73 उम्मीदवारों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने अपना पंजीकरण किस तरह कराया। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन से एयरलिफ्ट किए गए छात्रों में से किसी का नाम सूची में था या नहीं।

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