वाशिंगटन: अमेरिका में एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन को प्रेशिडेंशियल पार्डन (राष्ट्रपति क्षमादान) दे दिया है। यह माफी 2014 से 2024 के बीच किए गए सभी अपराधों के लिए दी गई है। इसका मतलब है कि इस दशक के दौरान हंटर बाइडेन ने जितने भी अपराध किए होंगे, उनमें अब उन्हें किसी भी प्रकार की सजा नहीं होगी। यह निर्णय तब लिया गया है जब जो बाइडेन अपने कार्यकाल के अंत के करीब हैं और व्हाइट हाउस छोड़ने से एक महीने पहले उन्होंने अपनी शक्तियों का अंतिम और विवादास्पद उपयोग किया। हंटर बाइडेन पर इस वर्ष 14 लाख डॉलर (लगभग ₹11.8 करोड़) की टैक्स चोरी का दोष साबित हुआ था। उन्होंने यह धनराशि वेश्याओं, ड्रग्स और गाड़ियों पर खर्च की थी। इसके अलावा, उन पर हथियार खरीदने के लिए अपनी पहचान छिपाने का भी गंभीर आरोप था। इन अपराधों को हंटर बाइडेन ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था। सितम्बर 2024 में उन्होंने अदालत में अपराध स्वीकारते हुए दोषी ठहराए जाने की बात मानी थी। इसके बावजूद, अब उन्हें इन मामलों में किसी भी प्रकार की सजा नहीं होगी। जो बाइडेन ने पहले यह संकेत दिया था कि वे अपने बेटे को माफी देने से बचेंगे, क्योंकि यह नैतिकता और पारदर्शिता के खिलाफ माना जा सकता है। लेकिन व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी राष्ट्रपति शक्तियों का उपयोग करते हुए इस फैसले पर मुहर लगा दी। डोनाल्ड ट्रंप, जो अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में चुने गए हैं, ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। ट्रंप ने इसे न्याय व्यवस्था का मजाक और सत्ता के दुरुपयोग का सबसे बड़ा उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए जो बाइडेन ने अपनी शक्तियों का निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। यह माफी इसलिए भी विवादास्पद है क्योंकि हंटर बाइडेन के अपराध न केवल व्यक्तिगत थे, बल्कि इनमें टैक्स चोरी और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। यह कदम यह सवाल खड़ा करता है कि क्या एक राष्ट्रपति को अपने ही परिवार के सदस्य को इस तरह से कानूनी संरक्षण प्रदान करने की अनुमति होनी चाहिए। अमेरिका में राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि वे किसी भी व्यक्ति को अपराधों के लिए माफ कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इस अधिकार का उपयोग न्याय के नाम पर किया जाता है, न कि पारिवारिक लाभ के लिए। इस फैसले ने अमेरिकी राजनीति और न्याय प्रणाली में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। आलोचक इसे लोकतंत्र की मूल भावना के साथ धोखा बता रहे हैं, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह राष्ट्रपति का संवैधानिक अधिकार है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह दिखाया है कि सत्ता में बैठे लोग अपने फैसलों को कैसे व्यक्तिगत लाभ के लिए मोड़ सकते हैं। हंटर बाइडेन के लिए यह राहत का क्षण है, लेकिन जो बाइडेन के इस फैसले से उनके राजनीतिक और नैतिक चरित्र पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। 'इस्लाम कबुलो, वरना बम से उड़ा देंगे..', बांग्लादेश नहीं, यूपी की है ये घटना ममता बनर्जी ने की बांग्लादेश में फ़ोर्स भेजने की मांग, जानिए विधानसभा में क्या कहा? टीम इंडिया के लिए खुशखबरी लेकर आई न्यूज़ीलैंड की हार, WTC फाइनल के समीकरण बदले