दुनिया में 122 देशों को कोरोना वायरस अपना शिकार बना रहा है. वही, इस विपत्ति पर भारी आस्था संकट के समय तिनके का सहारा भी मिल जाए तो बहुत है. बड़ी आबादी कोरोना संकट से बचाव में खुद को असहाय पा रही है. विपरीत परिस्थितियों में अरबों लोगों के लिए धर्म संबल का काम करता है. छोटे समय के लिए ही सही इस भय ने लोगों को वैश्विक स्तर पर धर्म और पारंपरिक रीति-रिवाजों की ओर खींचा है. हालांकि जो आत्मा के लिए अच्छा है वो हमेशा शरीर के लिए अच्छा नहीं हो सकता. लॉकडाउन : आखिर क्यों कोरोना के कहर में पुलिसकर्मियों को किया गया बर्खास्त ? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को एकत्रित होने को रोककर वायरस से मुकाबला करने की बात कही जा रही है. कई धर्मों में धार्मिक जनसमूह मुख्य सिद्धांत के रूप में शामिल है. कुछ मामलों में धार्मिक उत्साह लोगों को ऐसे इलाज की ओर ले गया, जिसका वैज्ञानिक आधार नहीं है. क्या 14 अप्रैल के बाद खुल पाएंगे स्कूल और कॉलेज ? इस मामले को लेकर धार्मिक गुरुओं की सलाह ने आस्तिकों की ऊर्जा को पुननिर्देशित किया है. इजरायल के प्रमुख एश्केनाजी रब्बी डेविड लाउ ने यहूदियों से रोजाना 100 आशीर्वाद कहने का आह्वान किया है. वहीं मिस्न के एक पोप टवाड्रस द्वितीय ने इसे पश्चाताप जगाने वाली घंटी बताया. एक धर्मोपदेश ने कहा कि यह सामंजस्य का समय है. केंद्रीय कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा का बड़ा बयान, कहा- कोरोना से होगी लंबी लड़ाई मनरेगा मजदूरी बढ़ाने की जरुरत नहीं, श्रमिकों के खाते में नकद डाले सरकार जम्मू और कश्मीर : अब तक 106 लोग हुए संक्रमित, इतने नए मामले आए सामने