यदि यह बात पौराणिक संदर्भ में कही जाती तो शायद यकीन नहीं होता है| परन्तु अब विज्ञान भी मानने लगा है कि ध्यान से एक अदृश्य कवच जैसा बनता है। इसके साथ ही उस माहौल में वह कवच शरीर के आस-पास छाए संक्रमणों से बचाता है। इसके अलावा हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियो फैकल्टी में शोध निर्देशक डॉ. हर्बर्ट वेनसन का कहना है कि नियमपूर्वक बीस मिनट प्रतिदिन ध्यान किया जाना चाहिए, तो शरीर में ऐसे परिवर्तन आने लगते हैं कि वह रोग और तनाव के आक्रमणों का मुकाबला करने लगता है।वहीं इसके लिए अलग से चिकित्सकीय सावधानी नहीं बरतनी पड़ती है । इसके साथ ही हर्बर्ट शोध कार्य के दौरान हृदय तंत्र की कार्य विधि और संवेगों के पारस्परिक संबंधों पर प्रयोग करते हुए ध्यान की ओर आकर्षित हुए। इसके अलावा उन्होंने अपने सहयोगी डॉ. वैलेस और उनकी टीम के साथ लगभग दो हजार व्यक्तियों का परीक्षण किया, जो नियमित ध्यान करते थे। इसके अलावा अध्ययन के निष्कर्षों को उन्होंने रिस्पांस मेडिसिन एंड टेशन पुस्तक में पेश किया है। वहीं उन्होंने लिखा है कि ध्यान के कारण व्यक्ति की त्वचा में अवरोध क्षमता की वृद्धि भी होती है। इसके साथ ही ध्यान में तीन मिनट के भीतर ही ऑक्सीजन की खपत दर में सोलह प्रतिशत की कमी आ जाती है, हालाँकि पांच घंटे की नींद में केवल आठ प्रतिशत की ही कमी आती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इसी से मिलता-जुलता एक प्रयोग लंदन के माडस्लो अस्पताल तथा इंस्टीट्यूट ऑफ साइकिएट्री के डॉ. पीटर फेन्विक ने भी किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पुस्तक ‘मेडिटेशन एंड साइंस’ में लिखा है कि उन्होंने ऐसे कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क की विद्युत क्रिया की जांच की जो कम से कम एक वर्ष से ध्यान का नियमित अभ्यास कर रहे थे।इसके साथ ही मस्तिष्क तरंगों की रिकॉर्डिंग में ध्यान के समय स्पष्ट परिवर्तन नोट किए गए। वहीं इन तरंगों से जो ताजगी मिलती है, उससे शरीर और मन बाहरी प्रतिकूलताओं को सहने लायक पर्याप्त सामर्थ्य जुटा लेता है। Puja Vidhi: भगवान की पूजा के बाद जरूर करें यह काम जिन लोगों के कान पर होते हैं बाल, जानिए उनकी यह राज की बातें अंतिम संस्कार के बाद नहाना क्यों है जरुरी