काफी फ़ायदेमंद है ओमेगा 3 और 6

हमारा शरीर बहुत से रसायनों का निर्माण आवश्यकतानुसार कर लेता है परंतु कई रसायन हमें भोजन द्वारा ही प्राप्त होते हैं। ओमेगा अम्ल भी हमें भोजन द्वारा ही प्राप्त होते हैं। ऑमेगा 3 जहाँ सामान्य विकास का सहयोगी है वहीँ ऑमेगा 6 त्वचा और अंतः भित्तियों के संरक्षण के लिये ज़रूरी है। पहले कुछ अध्ययनों में ऐसे संकेत मिले थे कि भोजन में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 के बीच एक निश्चित अनुपात होना चाहिये मगर ताज़े अध्ययनों में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है और दोनों को ही समान रूप से उपयोगी पाया गया है। ओमेगा 3 बहुत से बीजों, मेवों और वनस्पति तेलों में पाये जाते हैं।

अलसी, मींगें, अखरोट आदि इसके समृद्ध स्रोत हैं। मांसाहार और प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड/रिफ़ाइंड) भोज्य पदार्थों का प्रचलन बढने के कारण आम मानव के भोजन में ओमेगा 3 की मात्रा कम होती जा रही है। जहाँ मांसाहारियों को विशेषकर ओमेगा-3 की कमी का सामना करना पड़ता है, वहीं कुछ विशेष मछलियाँ खाने वालों को ओमेगा-3 मिल तो जाता है पर उसके साथ पारा, सीसा, कैडमियम आदि ज़हरीली धातुयें व अन्य विष भी शरीर में जाते हैं। ओमेगा-6 अलसी, अखरोट, कनोला, सूरजमुखी, मूंगफली, सोयाबीन, सेफ्लावर, मकई ऐवम् अन्य वनस्पति तेलों में प्रचुर मात्रा में होता है।

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