ब्लड सर्कुलेशन को सही रखता है यह आसन

हर योग आसन के अलग फायदे हैं और हमारी कोशिश हमेशा यह रहती है कि आपको हर योग आसन और उससे होने फायदों के बारे में जानकारी देते रहे। आज इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम आपको विपरीतकरणी आसन के बारे में जानकारी दे रहे हैं. विपरीतकरणी आसन पाचन, प्रजनन, तंत्रिका एवं अंत:स्त्रावी तंत्र में संतुलन आता है. यह अभ्यास मस्तिष्क में उचित मात्रा में रक्त पहुंचता है तथा मन को शांत करता है. यह थायरॉयड रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है. विपरीतकरणी मुद्रा के अभ्यास से चेहरे पर कान्ति बढ़ती है एवं बुढ़ापा व अकाल मृत्यु नही सताती है.सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, उच्च रक्तचाप या हृदय रोग की समस्या हो तथा नेत्र से संबंधित समस्या हो, तो इस अभ्यास को नहीं करना चाहिए. गर्भावस्था तथा मासिक धर्म में भी इस अभ्यास को नहीं करना चाहिए.

पीठ के बल लेट जाएं. ध्यान रहे आपके दोनों पैर और पंजे एक साथ रहेंगे तथा एक सीधी लाइन में होंगे. दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखें तथा हथेलियां जमीन की ओर मुड़ी रहेंगी. दोनों पैरों को सीधा एवं एक साथ रखते हुए ऊपर उठाएं. पैरों को शरीर के ऊपर उठाते हुए सिर की ओर ले जाएं. इस दौरान भुजाओं तथा हथेलियों से जमीन का सहारा लेते हुए नितंबों को ऊपर उठाएं. पैरों को सिर की ओर अधिक ऊपर ले जाते हुए मेरुदंड को जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करें. अब हथेलियों को ऊपर करते हुए दोनों कोहनियों को मोड़ें और हाथों को कमर पर इस प्रकार व्यवस्थित करें कि नितंबों का ऊपरी भाग कलाइयों के निकट हथेलियों के आधार पर टिका रहे. अब आंखों को बंद कर लें और अंतिम स्थिति में आराम से जितनी देर संभव हो विश्राम करें. प्रारंभिक स्थिति में लौटने के लिए पैरों को नीचे लाएं और फिर भुजाओं और हाथों को शरीर के निकट बगल में जमीन पर रखें.

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