1- प्यासे रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर, मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े !! 2- शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है, मेरे अन्दर बारिश होती रहती है 3- बारिश शराबे अर्श है ये सोचकर कर अदम बारिश के सब हरूफ को उल्टा के पी गया। 4- किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं 5- धुप सा रंग है और खुद है वो छाँवो जैसा उसकी पायल में बरसात का मौसम छनके 6- चाहा था कि भीगें तेरी बारिश में हम मगर अपने ही सुलगते हुए ख्वाबों में जले हैं। 7- अब्र के चारों तरफ बाढ लगा दी जाये मुफ्त बारिश में नहाने पे सजा दी जाए। 8- कल रोशनी की बरसात थी, आज फिर अँधेरी रात, बुझते हुए दीयों ने हम को भी बुझा दिया। 9- अबके बरसात की रुत और भी भड़कीली है, जिस्म से आग निकलती है, क़बा गीली है !! 10- दर ओ दीवार पे शक्लें सी बनाने आई, फिर ये बारिश मेरी तन्हाई चुराने आई !!