आप सभी को बता दें कि हर माह का प्रदोष , त्रयोदशी व चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और ऐसे में कहते हैं कि इस दिन उनकी पूजा करने से सारे विचार सच हो जाते हैं. इसी के साथ इस दिन शिव की पूजा सपरिवार करते है और उनसे जो मांगना हो माँगा जा सकता है. आपको बता दें कि भाद्रपद की चतुर्दशी को अघोर चतुर्दशी कहा जाता है जो भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष है. वहीं इसके बाद पड़ने वाली अमावस्या को कुशाग्रहणी अमावस्या कहते हैं और अघोर चतुर्दशी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत खास है. वहीं इस दिन तर्पण, दान-पुण्य का महत्व बताया गया है. वहीं कहा जाता है इस दिन बेलपत्र, समीपत्र, कुशा, दूब भांग, धतूरा व नारियल भगवान को चढ़ाते हैं और व्रत रखते हैं. इसी के साथ इस दिन गणेश मंत्र, कार्तिकेय मंत्र व वो शिव मंत्र से शिव की पूजा का विधान है. ऐसे में मान्यता है कि 14 सौ करोड़ वर्ष पहले जब काशी का जन्म हुआ था और उसी दिन से अघोर चतुर्दशी के दिन पितरों के लिए किए जाने वाले कार्य किए जाते हैं. कहते हैं इस दिन शिव के इन मंत्रों का जाप करने सो सारे पाप, बीमारियां व कष्ट दूर होने लगते हैं. आइए जानते हैं वह मंत्र. एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- 'हौं'. मृत संजीवनी महामंत्युंजय मंत्र- ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !! दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र- 'ऊं जूं स: माम पालय पालय' त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- 'ऊं जूं स:' जिन महिलाओं में होती है यह आदत वह चमका देती हैं अपने पति की किस्मत अगर आपके हाथ में है यह रेखा तो आपकी भी होगी विदेश यात्रा आज है अजा एकादशी, भूलकर भी ना करें यह काम वरना....