आज से यानी 13 अगस्त से भादों का महीना शुरू हो चुका है। आप सभी को बता दें कि भाद्रपद माह पूर्ण रूप से भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, हालाँकि इस माह को गणेश पूजन के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है और इस व्रत के दौरान भगवान श्री गणेश की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। जी दरअसल यह मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बाप्पा की आराधना करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश हो जाता है उसके सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। अब हम आपको बताते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त एवं अन्य जानकारी। भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2022 तिथि- हिन्दू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का शुभारंभ 14 अगस्त, दिन रविवार को रात 10 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। जो 15 अगस्त, दिन सोमवार को रात 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। तो ऐसे में उदया तिथि पर आधारित संकष्टी चतुर्थी व्रत 15 अगस्त के दिन रखा जाएगा। भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2022 शुभ योग- आपको बता दें कि संकष्टी चतुर्थी यानी कि 15 अगस्त के दिन दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसी के साथ, सुबह से लेकर 11 बजकर 24 मिनट तक धृति योग की शुभ छाया होगी। ऐसे में व्रत पूजन के लिए सुबह 9 बजकर 27 मिनट से लेकर रात के 9 बजे तक का समय अत्यंत फलदायी है। भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2022 चंद्रोदय समय- 15 अगस्त यानी कि रविवार के दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 27 मिनट पर होगा अगले दिन यानी कि 16 अगस्त, दिन मंगलवार को सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर चंद्रास्त होगा। जी हाँ और चंद्रोदय समय के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर सभी व्रती रात साढ़े 9 बजे के बाद चन्द्र दर्शन कर चंद्रदेव की पूजा कर सकेंगे। हालाँकि ध्यान रहे कि चंद्र दर्शन के बिना संकष्टी व्रत फलित नहीं होता, इस वजह से चंद्र दर्शन के पश्चात चंद्र देव को जल अवश्य चढ़ाएं। कजरी तीज के दिन इस विधि से करें पूजन, सुहागिन महिलाएं जरूर करें ये काम 14 अगस्त को है कजरी तीज, जानिए शुभ मुहूर्त-योग और पूजन सामग्री 200 साल बाद रक्षाबंधन पर बन रहा दुर्लभ संयोग, इस समय बांधें राखी