आप सभी जानते ही हैं कि रंगों का पर्व होली आने को है. इस साल होली 21 मार्च को है. ऐसे में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़े ही धूमधाम के साथ देश-विदेश में मनाया जाता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि होली मनाने के पीछे क्या-क्या कारण हैं..? आई जानते हैं. पहला कारण - कहते हैं होली मनाए जाने के पीछे सबसे प्रचलित मान्यता विष्णु भक्त प्रह्राद के द्वारा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का वध करना है. कहा जाता है हिरण्यकश्यप एक राक्षस था जिसका प्रह्राद नाम का पुत्र था.प्रह्राद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था लेकिन हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का घोर विरोधी था.वह नहीं चाहता था कोई उसके राज्य में भगवान विष्णु की पूजा करें. ऐसे में प्रह्राद भगवान विष्णु की पूजा में दिन रात लीन रहते थे जिसके चलते हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मारने का कई बार प्रयास कर चुका था लेकिन बार-बार असफल हो जाता था.तब हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्राद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को भेजा. दूसरा कारण - कहा जाता है एक कथा यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा पूतना नाम की राक्षसी का वध करना भी माना जाता है.पूतना राक्षसी के वध के बाद बृजवासी खुशी के चलते आपस में रंग खेलते है. तीसरा कारण - एक मान्यता ऐसी भी है कि भगवान शिव से जुड़ी हुई है जिसमें फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को शिव गण रंग लगाकर नाचते और गाते है. चौथा कारण - ऐसा भी कहा जाता है कि मुगलकाल के समय में भी भारत में होली मनाई जाती है और इतिहास में बादशाह अकबर का जोधाबाई के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है. इस कारण से मुगल काल में इसे ईद-ए-गुलाबी कहा जाता था और तभी से लोग एक दूसरे के ऊपर रंगों की बौछार करके होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं. होलिका दहन से दो दिन पहले है प्रदोष व्रत, जानिए क्या है विधि होली पर ना रहे अपने घरों में बंद, रंग भरे त्यौहार का उठायें आंनद होली के दिन पीले कपड़े में इस चीज़ को बांधकर रख दें तिजोरी में, हो जाएंगे मालामाल