अमृतसर: पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा हाल ही में पारित "पंजाब अपार्टमेंट एवं संपत्ति विनियमन (संशोधन) विधेयक 2024" ने अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वालों को बड़ी राहत दी है। इस विधेयक के तहत अवैध कॉलोनियों में संपत्तियों के पंजीकरण के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की जरूरत को समाप्त कर दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति, जिसने 31 जुलाई 2024 तक 500 वर्ग गज तक के प्लॉट के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी या बिक्री समझौता किया है, वह बिना किसी एनओसी के अपनी संपत्ति का पंजीकरण करा सकता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे "आम आदमी के लिए एक बड़ी राहत" बताया, क्योंकि इससे उन करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई अवैध कॉलोनियों में लगाई है। हालांकि, सवाल उठता है कि पंजाब की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है, तो क्या वाकई में "करोड़ों" लोग अवैध बस्तियों में प्लॉट खरीद चुके हैं? राज्य में अवैध कॉलोनियों की संख्या पर स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन इस समस्या का राज्य में व्यापक असर है। पंजाब में बड़ी संख्या में अवैध कॉलोनियों का निर्माण हुआ है, जहां लोग बिना पूरी कानूनी प्रक्रिया के संपत्तियों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं। मान सरकार ने इन अवैध कॉलोनियों को वैध बनाने के लिए एक और कदम उठाया है—500 गज तक के प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए एनओसी की शर्त को हटा दिया है, ताकि लोग अपनी संपत्तियों को कानूनी रूप से पंजीकृत करवा सकें। हालांकि, इस विधेयक का उद्देश्य अवैध कॉलोनियों को नियमित करना नहीं है, बल्कि अवैध कॉलोनियों में खरीदी गई संपत्तियों की पंजीकृत प्रक्रिया को आसान बनाना है। जो प्रमोटर या एजेंट इन प्रावधानों का पालन नहीं करते, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी रखा गया है। यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है, तो उसे 5 से 10 साल तक की जेल और 25 लाख रुपये से लेकर 5 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके बावजूद, अवैध कॉलोनियों में प्लॉट बेचकर लोगों को ठगने वालों के खिलाफ अब तक कितनी सख्त कार्रवाई हुई है, यह एक गंभीर सवाल है। सरकार ने अवैध कॉलोनियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है, लेकिन इसका सही कार्यान्वयन और लोगों को इस समस्या से स्थायी राहत कैसे मिलेगी, इस पर अभी और स्पष्टता की जरूरत है। 'मिडिल ईस्ट में सामूहिक नरसंहार कर रहा इजराइल..', क़तर के अमीर ने दी चेतावनी सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को 'सुप्रीम' राहत, पुलिस जांच पर लगाई रोक 56 साल बाद घर पहुंचा शहीद जवान का शव, छलक पड़ीं पोते-पोतियों की आँखें