भारत सरकार विकास को गति देने के लिए कई कदम उठा रही है, लेकिन इस बात से किसानों और मजदूरों को कुछ अधिक लाभ नही मिला है. इस बात का अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है क्योंकि बुधवार को किसानों और मजदूरों की समस्याओं को लेकर ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया गया है. इस बंद को वामदलों और श्रमिक संगठन का भी समर्थन मिलने से प्रशासन चौकन्ना है. सचिन पायलट ने रचा नया कीर्तिमान, इस तरह जनता का किया अभिवादन अपने बयान में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन संयोजक व पूर्व विधायक वीएम सिंह ने बताया कि देश के करीब 250 किसान संगठनों के संयुक्त मंच 'अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति' के आह्वान पर केंद्र और प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान आठ जनवरी को दूध व सब्जी की आपूर्ति शहरों की ओर नहीं होने देंगे.उन्होंने किसानों की अनदेखी के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया. आरोप लगाया कि पहली बार गन्ना किसानों की इतनी दुर्दशा हो रही है. गत भुगतान अभी बकाया है और समय से पर्चियां न मिलने से गन्ना कटाई नहीं हो पा रही है. उन्होंने किसानों के आंदोलन को छात्रों का समर्थन मिलने का दावा भी किया. अमेरिका ने इराक को फिर बनाया निशाना, दागीं एक दर्जन से ज्यादा मिसाइलें आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वामपंथी दलों सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), फारवर्ड ब्लाक व लोकतांत्रिक जनता दल ने आठ जनवरी को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन किया. सीपीआई (एम) के प्रदेश सचिव हीरालाल यादव, सीपीआई के डा.गिरीश, सीपीआई (एमएल) के सुधाकर यादव व लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जुबैर अहमद कुरैशी ने हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है. आनंद भवन पर नगर निगम ने कसा शिंकजा, गृहकर बकाया में नही देनी वाली छूट अफगानिस्तान का प्लान फ़ैल, भारत पर पड़ सकता है असर राज ठाकरे और पूर्व सीएम की मुलाकात, महाराष्ट्र में फैली समीकरण की चर्चाएं