इंदौर : इंदौर में आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने अपने घर में खुद को गोली मार ली और एक पन्ने का सूइसाइड नोट लिखा जिसमे तनाव को मौत का कारण लिखते हुए एक लाइन लिखी जिसके अनुसार कोई परिवार को सँभालने वाला होना चाहिए. मगर मौत के अगले दिन नोट का दूसरा पन्ना सामने आया जिसमे उन्होंने अपने पुराने सेवादार विनायक को संपत्ति के साथ सभी वित्तीय अधिकार सौंपने की इच्छा लिखी है. इसके बाद परिजन,श्री सद्गुरु दत्ता धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के सदस्य और सभी भक्त हैरान है. अब दूसरे सूइसाइड नोट की सत्यता पर सवाल खड़े हो रहे है. पुलिस हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स के जरिए भय्यूजी के कथित सूइसाइड नोट की लिखावट का मिलान कर रही है. भय्यूजी महाराज के रिश्तेदारों और करीबियों ने कहा है कि वह सभी मामलों में विनायक के दखल से खुश नहीं थे. पूर्व एनसीपी एमएलए और भय्यूजी के करीबी दीपक सालुंखे का कहना है, 'विनायक की तरफ से किसी तरह की आपत्ति का कोई सवाल नहीं है, क्योंकि यह शीशे की तरह साफ है कि संपत्ति पर परिवार का हक है और इस संबंध में जो कुछ भी होगा वह परिवार की तरफ से ही होगा.' विनायक के अधिकार के सवाल पर उन्होंने कहा, 'वह ट्रस्ट में आ-जा सकते हैं लेकिन अगर वह कुछ गलत करते हैं तो उन्हें निकाल कर बाहर कर दिया जाएगा.' भय्यूजी महाराज की बड़ी बहन के रिश्तेदार सालुंखे ने बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने विनायक के साथ चर्चा की है. वहीं, विनायक से जब सूइसाइड नोट को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. भय्यू जई महाराज कि मौत पर सस्पेंस बरक़रार है पारिवारिक कलह को मौत कि वजह बताया गया है. उनकी दूसरी शादी के बाद से ही उनकी बेटी का सौतली माँ से झगड़ा शरू हो गया था. वही मौत के एक दिन पहले वे राऊ में किसी अनजान महिला से मिले जहा उनकी उससे कहा सुनी हुई. उनकी मौत से पहले उनके किये गए ट्वीट का समय और मौत का समय भी संदेह के घेरे में है. भय्यू महाराज सिद्ध संत नहीं थे, न जाने किसने उन्हें उपाधि दे दी-पवन दास शास्त्री भय्यू महाराज से पहले भी कई आलिशान जिंदगियों ने मौत को चुना मप्र: भय्यू महाराज के अंतिम संस्कार से पहले स्वामी अखिलेश्वरानंद कैबिनेट मंत्री बने