नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने 24 घंटे पहले दोनों ही सरकारों को भीलवाड़ा मॉडल की प्रतिलिपि थमा दी थी और उसे अपनी वेबसाइट पर भी डाल दिया था। किन्तुइस पर समय रहते काम नहीं किया गया। मगर बढ़ते मामलों को देखकर आखिरकार यूपी और दिल्ली में भी वही रणनीति अपनाने का निर्णय किया गया है। बुधवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के तमाम हॉटस्पॉट को चिन्हित कर सील करने की घोषणा कर दी। लेकिन इसमें भी एक समस्या हो गई। आदेश लागू होने से पहले लोग अपने सड़कों पर सामान खरीदने के लिए निकल पड़े और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं। दरअसल, भीलवाड़ा मॉडल इससे बिलकुल अलग था। राजस्थान सरकार ने 19 मार्च को कोरोना का पहला केस सामने आने के बाद ही 20 मार्च को सबसे पहले हॉटस्पॉट, बफर जोन और आउटर जोन को चिन्हित किया था। उसमें से हॉटस्पॉट पर सबसे पहले दिन में 11:00 बजे ही दूध सब्जी और दवाई की दुकान जैसी जरुरी वस्तुओं की दुकानें भी बंद करवा दी थीं। पूरे इलाके को 3 लेयर में सील कर दिया गया था। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई थी और उसके बाद दिन में दोपहर 2:00 बजे सुपर कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई। लोगों को जरुरी सामान भी घर पर ही पहुंचाए गए, जिससे लोग बाहर नहीं निकले और जिले में कोरोना नियंत्रित हो गया। कोरोना : कही होगी बाजार में रौनक तो, कही घरों में कैद रहेंगे लोग अमेरिका ने ढूंढा कोरोना संक्रमण रोकने का नया वैक्सीन लॉकडाउन : आर्थिक विकास दर लुढ़ककर 1.6 फीसद आने की संभावना