पुणे: महाराष्ट्र पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उनके पास ऐसे प्रमाण हैं जो मंगलवार को भीमा कोरेगावं मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानव अधिकार कार्यकताओं और माओवादी संगठनों बीच स्पष्ट रूप से संबंध स्थापित करते हैं. एडीजीपी का कहना है कि गिरफ्तार आरोपियों ने सरकार के खिलाफ षड्यंत्र में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आखिर क्या है भीमा कोरेगांव मामला ? एक प्रेस वार्ता के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) परमबीर सिंह ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से आदान-प्रदान पत्र किए गए पत्र प्रदर्शित किए. उन्होंने कहा कि "रूस और चीन से प्राप्त हथियारों का उपयोग करके कानूनी रूप से स्थापित भारत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए माओवादी संगठनों ने बड़ी साजिश रची थी, गिरफ्तार आरोपी ने इस षड्यंत्र में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,". भीमा कोरेगांव मामला : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जारी किया नोटिस उन्होंने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों ने पेरिस में भी अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बैठक की थी और वहां से आरोपियों को इस कार्य के लिए धन भी मुहैया कराया गया था. उन्होंने कहा कि सभी पांच कार्यकर्ताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण के आरोप लगाए गए थे और जांच आयोजित की गई थी जिसमें पुलिस ने पाया कि लगभग सभी आरोपी कबीर कला मंच से जुड़े थे. आपको बता दें कि इन पाँचों आरोपियों पर भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़काने के आरोप हैं, पुलिस का कहना है कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही हिंसा भड़की थी. खबरें और भी:- भीमा-कोरेगांव हिंसा: लेखक, वकील या नक्सली आखिर कौन हैं ये 5 लोग, जिनकी गिरफ़्तारी पर मचा है बवाल आतंकियों ने पुलिसवालों के परिजनों को किया अगवा नेशनल बैंक ने युवाओं से मांगे आवेदन, यह है अंतिम तिथि