भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन हो गया है। आप सभी को बता दें कि लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले रामचंद्र मांझी ने पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बीते बुधवार देर रात अंतिम सांस ली। जी दरअसल वह हार्ट ब्लॉकेज और इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे थे। आपको बता दें कि रामचंद्र मांझी सारण जिले के रहने वाले थे और सबसे बड़ी और दुख की बात ये है कि उनका आखिरी वक्त मुफलिसी में कटा था। उनके निधन से भोजपुरी कला के क्षेत्र में शोक की लहर है। आपको बता दें कि सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा के तुजारपुर के रहने वाले रामचन्द्र मांझी को गंभीर अवस्था में मंत्री जितेंद्र कुमार राय की पहल पर पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती करवाया गया था। वहीं आईजीआईएमएस में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने देर रात अंतिम सांस ली। रामचंद्र मांझी 10 वर्ष की उम्र में ही मशहूर भोजपुरी कलाकार भिखारी ठाकुर की नाट्य मंडली से जुड़ गए थे। वह 30 सालों तक भिखारी ठाकुर के नाच मंडली के सदस्य रहे। आपको बता दें कि रामचंद्र मांझी ने लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई थी। वहीं जब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया उस समय उनके साथ ही साथ लौंडा नाच को भी वह सम्मान मिला, जिसके लिए वह बरसों से संघर्ष कर रहे थे। इसी के साथ उन्हें संगीत नाटक अकादमी समेत अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। हालाँकि विडंबना यह रही कि बिहार का कोई भी कलाकार पिछले 5 दिनों में रामचंद्र मांझी को देखने अस्पताल नहीं गया। वहीं मंत्री जितेंद्र राय उन्हें देखने गए और उनकी आर्थिक मदद भी की। आपको बता दें कि छपरा के संस्कृति कर्मी जैनेंद्र दोस्त ने पद्मश्री रामचंद्र मांझी के मानस पुत्र की भांति अंतिम समय तक उनकी सेवा की। वहीं पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद भी रामचंद्र माझी और उनका परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझता रहा। इसी के साथ उनके जीवन का अंतिम समय मुफलिसी में कटा। इसी के साथ रामचंद्र माझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया। कैटरीना के भाई को डेट कर रही है ये मशहूर एक्ट्रेस, करण जौहर ने किया खुलासा आखिर क्यों मनाया जाता है ओणम का पर्व, जानिए पूजा विधि आज से शुरू हो रहा है ओणम का पर्व, जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व