रांची: झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के आंदोलन को शांत करने के लिए प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार को बड़ा कदम उठाया है। झारखंड सरकार ने भोजपुरी तथा मगही भाषा को धनबाद तथा बोकारो जिले से बाहर कर दिया है। अब जिलास्तरीय नियोजन में धनबाद तथा बोकारो जिले में भोजपुरी एवं मगही को मान्यता नहीं प्राप्त होगी। इसी के साथ इस भाषा के विशेषज्ञ शिक्षित युवाओं के लिए इन दो शहरों में जिलास्तरीय नियोजन का मार्ग बंद होने जा रहा है। वही झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भोजपुरी तथा मगही के विरोध में मुखर थे। इस भाषा को जिलास्तरीय नियोजन से मान्यता ख़त्म कराने के लिए एक माह से अधिक वक़्त से निरंतर आंदोलन चल रहा था। धनबाद तथा बोकारो में झारखंड सरकार ने स्थानीय लोगों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए क्षेत्रीय भाषा की लिस्ट से मगही तथा भोजपुरी को बाहर कर दिया है। अन्य शहरों में क्षेत्रीय भाषाओं को पूर्व के क्रम में ही रखा गया है। वही इसको लेकर कार्मिक विभाग ने नए सिरे से अधिसूचना जारी कर दी है। फैसला लेने के पहले सीएम हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर तथा विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को भरोसा में लिया एवं उनसे चर्चा के पश्चात् सरकार ने यह फैसला लिया। वही झारखंड कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने भोजपुरी और मगही को धनबाद एवं बोकारो जिले से बाहर करने की अधिसूचना जारी कर दी है। नई अधिसूचना निर्धारित होने के साथ ही क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी सिर्फ पलामू एवं गढ़वा में सम्मलित होगी। मगही को लातेहार, पलामू, गढ़वा तथा चतरा में क्षेत्रीय भाषा के रूप में रखा गया है। भारत में Metaverse के इस्तेमाल से हो सकते है कई बड़े बदलाव 'संविधान नहीं, क़ुरान को मानेंगे..', अहमदाबाद ब्लास्ट के आतंकियों को बचाने के लिए हाई कोर्ट जाएगा जमीयत उलेमा-ए-हिंद यूपी से लेकर राजस्थान तक इन राज्यों में फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, IMD ने दी चेतावनी