भोपाल गैस त्रासदी की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार का निधन

भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की आवाज बनने वाले अब्दुल जब्बार का गुरुवार को निधन हो गया वे लम्बे वक्त से बीमार चल रहे थे। इससे पहले दिन में, मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि वह 1984 के यूनियन कार्बाइड गैस रिसाव त्रासदी के पीड़ितों के लिए काम करने वाले प्रमुख कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार के इलाज का खर्च वहन करेगी। जब्बार का पिछले कुछ महीनों से इलाज चल रहा था। जब्बार का इलाज कर रहे डॉ. अब्बास ने बताया कि जब्बार हार्ट पेशेंट थे। उन्हें डायबिटीज भी थी। गुरुवार रात 9 और 10 बजे उन्हें दो बार हार्टअटैक आया, जिससे उनका निधन हो गया।

उन्होंने यादगारे शाहजहांनी पार्क पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। जब्बार 1984 की गैस त्रासदी की पीड़ित महिलाओं के संगठन से जुड़े थे और उन्हें हक दिलाने के लिए जिंदगीभर जुटे रहे। उनके बाएं पैर में गैंगरीन था, जिसके इलाज में वह आर्थिक तंगी में पहुंच गए थे। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और मित्रों ने उनके इलाज के लिए फंड जुटाने सोशल मीडिया पर मुहिम भी चला रखी थी। जब्बार द्वारा बनाया गया गैर सरकारी संगठन 'भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन’ लगभग तीन दशक से भोपाल गैस कांड के जीवित बचे लोगों के हित में काम कर रहा है।   

 भोपाल  शहर में  तीन दिसम्बर सन् 1984  को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई थी। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान चली गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसोसाइनाइट नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। यह बहुत ही घातक गैस थी, जिसका असर आज भी लोगो पर हैं|

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