यहाँ गिरा था माता सती का बायां पैर, दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं लोग

नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान कई शक्तिपीठों के बारे में लोग पढ़ना पसंद करते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भ्रामरी देवी शक्तिपीठ के बारे में। जी दरअसल भ्रामरी एक हिन्दू देवी हैं और वह शक्ति की अवतार मानी जातीं हैं। कहा जाता है इनके द्वारा ही अरुणासुर नामक दैत्य का वध किया गया था। जी हाँ और माँ भ्रामरी देवी जगदम्बा भवानी शाकम्भरी का ही एक स्वरूप है।

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जी दरअसल माँ भ्रामरी देवी का मंदिर हरियाणा के हिसार मे बनभौरी के नाम से विख्यात है, इसके अलावा अगर हम शक्तिपीठ के बारे में बात करें तो यह पश्चिम बंगाल राज्य में जलपागुड़ी जिले के वोड़ागंज ग्राम में, तीस्ता नदी के तट पर स्थित है और इसे भ्रामरी या त्रिसोता शक्तिपीठ कहते हैं। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता सती का बायां पैर गिरा था।

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जी हाँ और यहाँ माता को भ्रमराम्बिका या भ्रमराम्बा देवी के नाम से पूजा जाता है जो वस्तुत माँ भ्रामरी ही है। इसी के साथ उनके साथ भगवान् शिव 'शम्बरानंद भैरव' के रूप में विराजमान हैं जिनको मल्लिकार्जुन भी कहा जाता है। जी दरअसल पुराणों के अनुसार जहाँ देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे, वहाँ उनके शक्तिपीठ बन गये। जी हाँ और  ये शक्तिपीठ पावन तीर्थ कहलाये, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। कहा जाता है  सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक संकट से बचाने के लिए विष्णु भगवान ने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बाँट दिया, जो अंग जहाँ पर गिरे, वे शक्ति पीठ बन गए।

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