नई दिल्ली: किसानों की जंग सड़क से संसद तक पहुंच गई है. एक ओर किसान संगठन तीनों कृषि कानून वापसी की मांग के साथ दिल्ली के अलग-अलग सीमाओं पर डेरा डाले बैठे हैं, वहीं विपक्षी पार्टियों के सांसद संसद के भीतर किसानों की आवाज उठा रहे हैं. इस मुद्दे पर बुधवार को भी राज्यसभा में जमकर नारेबाजी हुई. वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सांसद ने इस आंदोलन को शाहीनबाग न बनाने की बात कही. बुधवार को उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई. इस दौरान भाजपा सांसद भुबनेश्वर कालिता ने भी अपनी बात रखी. सांसद ने कहा कि सरकार ने नए कृषि कानूनों के माध्यम से किसानों के उत्थान का काम किया है, इसके बाद भी विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर संसद की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, ''सरकार किसानों से कई दौर की वार्ता कर चुकी है और चर्चा के रास्ते खुले हैं. सरकार इससे संबंधित सभी मसलों पर चर्चा के लिए तैयार है, किन्तु मैं अपने दोस्तों से अपील करना चाहता हूं कि इसे एक और शाहीनबाग न बनाएं.'' किसान आंदोलन के अलावा भुबनेश्वर कालिता ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का मुद्दा भी उठाया. दिल्ली के शाहीनबाग में तीन महीने से अधिक सड़क पर जो आंदोलन चला, वो भी CAA के खिलाफ ही था. उस आंदोलन के दौरान नोएडा-बदरपुर को जोड़ने वाला मार्ग दोनों तरफ से बंद था. उस मुद्दे पर काफी हंगामा भी हुआ था. दिल्ली विधानसभा चुनाव में शाहीनबाग पर जमकर बयानबाजी भी हुई थी और आंदोलन के समय ही नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा भी भड़क गई थी. दिल्ली की किलेबंदी पर बोलीं मायावती - आतंकियों को रोकने के लिए बॉर्डर पर करें बैरिकेडिंग किसान आंदोलन के बीच राहुल ने सरकार पर आरोप लगाकर कही ये बात नितीश सरकार पर तेजस्वी का वार, कहा - 40 सीटों से कितना डर रहे हैं 'बेचारे' मुख्यमंत्री