ग्वालियर: संगीत की राजधानी और संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध ग्वालियर शहर ने 'ताल दरबार' समूह द्वारा राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" की प्रस्तुति के माध्यम से भारतीय संस्कृति की अदम्य भावना के लिए वैश्विक पहचान हासिल की है। यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त, इस संगीत नगरी ने मध्य प्रदेश के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय दर्ज किया है, क्योंकि यूनेस्को द्वारा चुने गए 1300 से अधिक संगीतकारों ने राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और संगीत विरासत का प्रचार किया और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह बनाई। वही इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था का प्रमाण पत्र ग्रहण किया. सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस सफलता को यादगार बनाने और सभी संगीत साधकों के सम्मान में 25 दिसंबर को पूरे राज्य में तबला दिवस मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ताल दरबार के कला साधकों ने संगीत के कुंभ का दृश्य दिखा दिया. आज स्वयं भगवान इंद्र की सभा का स्वरूप दिखाई दिया. आप सभी की संगीत साधना को देखकर मैं धन्य हो गया. सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ सभी तबला साधकों का समूह चित्र भी हुआ. प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि 4 बरस के नन्हे तबला वादक से लेकर बड़ी उम्र के तबला साधकों से सजा दरबार इस अर्थ में भी अनूठा था कि एक साथ राज्य की 3 पीढियां तबला वादन कर रही थीं. तानसेन की ज़मीन पर तबलों की थाप से सजे दरबार मे आज तानसेन की नगरी थिरक रही थी. तबलों की थाप से निकलता सुमधुर संगीत मातृभूमि को देश के हृदय स्थल से राष्ट्र को एक संगीतांजलि है. उन्होंने इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने पर सभी संगीत के गुरुओं तथा छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी. राष्ट्रगीत वंदे मातरम की परिकल्पना पर आधारित तबला वादकों ने 3 ताल के ठेका पर संगीत के सम्राट तानसेन को संगीतमय प्रणाम किया. हारमोनियम, सितार तथा सारंगी की धुन पर सजे लहरा एवं कायदा पर तबला वादन ने ग्वालियर किला को गुंजायमान कर दिया. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो रहे राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से संबद्ध सभी 123 महाविद्यालयों के पूर्व और वर्तमान छात्रों ने इंदौर से संगीत्तज्ञ हितेंद्र दीक्षित, मनोज पाटीदार एवं सलीम उल्लाह के साथ सुरमयी कार्यक्रम में तबले की थाप पर ग्वालियर शहर की रूह को थिरकने पर विवश कर दिया. मध्यप्रदेश की कला एवं संस्कृति का वैश्विक चित्र "ताल दरबार" तानसेन कार्यक्रम के शताब्दी वर्ष से पहले एक सांस्कृतिक प्रणाम है, जो इस बात की उद्घोषणा करता है कि हर लय एवं हर ताल जीवन का अनुशासन है तथा यह मावन जीवन की अनिवार्यता भी है. ग्वालियर वह धरती है जिस पर संगीत सांस लेता है. तानसेन कार्यक्रम में तबलों की थापों पर रूमानियत घोलता ताल दरबार में संस्कृति तथा पर्यटन विभाग, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, जिला प्रशासन के संबंधित अफसर एवं बड़े आंकड़े में संगीत प्रेमी इस अविस्मरणीय पल के साक्षी बने. कांग्रेस के 'Donate For Desh' अभियान को हुआ एक हफ्ता, जानिए इतने दिनों में पार्टी को कितना दान मिला वो शख्स जिसकी किताब ने संवार दी 150 लोगों की जिंदगी और पुरे देश को हंसने पर कर दिया मजबूर 'हमारा हाल भी गाज़ा जैसा होगा..', आखिर क्या चाहते हैं फारूक अब्दुल्ला ? फिर दिया विवादित बयान