जबलपुर/ब्यूरो: पशुपति अखाड़े की महामंडलेश्वर के साथ प्रथम किन्नर भागवताचार्य हिमांगी सखी में 8 अगस्त को बनारस स्थित विश्वेश्वर ज्ञानवापी महादेव का जलाभिषेक करने की घोषणा की है। जबलपुर पहुंचने पर हिमांगी सखी ने कहा - सावन में जलाभिषेक नहीं करेंगे तो कब करेंगे। मैं अर्धनारीश्वर भगवान अर्धनारीश्वर का अभिषेक नहीं करूंगी तो कौन करेगा। यदि इस पर मुझे जेल जाना पड़े तो भी मंजूर है। पत्रकारों से चर्चा करने के दौरान हिमांगी सेखी ने बताया कि वे जबलपुर से 20 किन्नर और अन्य संतों के साथ बनारस के लिए रवाना होगी। वृंदावन से भी 860 वाराणसी पहुंचेंगे। हम सभी लोग बनारस से गंगाजल लेकर कावड़ यात्रा के रूप में 8 अगस्त (अंतिम सावन सोमवार) को विश्वेश्वर ज्ञानवापी महादेव का जलाभिषेक करेंगे यदि प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया तो हम वहीं पर धरना प्रदर्शन करेंगे। अनुमति नहीं मिली तो मैं खुद का अभिषेक कर लूंगी। किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कहा : यदि प्रशासन से अनुमति नहीं मिली तो मैं खुद का अभिषेक करा लूंगी। भगवान महादेव भी अर्धनारीश्वर है और किन्नरों को भी इस धरती पर अर्धनारीश्वर माने जाते है। यदि मुस्लिम समाज को इतने सालों तक वजू करने का अधिकार मिला था ,तो क्या हम हिंदू समाज के लोग सावन में भी अपने महादेव का जलाभिषेक नहीं कर सकते ? महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने इससे पहले 12 जून को वृंदावन में विश्वेश्वर महादेव के जलाभिषेक की अनुमति मांगी थी जिसके चलते उन्हें कुछ लोगों से धमकियां भी मिली थी। जानिए कौन है हिमांगी सखी। दरअसल हिमांगी साक्षी मुंबई की रहने वाली है । माता पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वे वृंदावन चली गई। गुरु की शरण में रहकर शास्त्रों का अध्ययन किया सद्गुरु आज्ञा पर धर्म का प्रचार करने वृंदावन छोड़कर मुंबई चली गई । मुंबई में फिल्मों में भी अभिनय परंतु मन उनका हमेशा धर्म में लगा रहा। बाद में वे सब कुछ छोड़कर हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गई। हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि पशुपति पीठ अखाड़े से मिली है। 2019 में प्रयागराज मे हुए कुंभ में नेपाल के गोदावरी धाम स्थित आदि शंकर कैलाश पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर गौरी शंकर महाराज ने उन्हें पशुपति पीठ की महामंडलेश्वर की उपाधि दी। अब तक हिमांगी सखी 50 से अधिक भागवत कथाएं कर चुकी है। अमृत महोत्सव के अंतर्गत वैक्सीनेशन महाअभियान शुरू घायल शावक की गई जान, कई दिनों से पीड़ित था शावक स्वर्ण अक्षरों से अंकित है, "कारगिल विजय दिवस"