आज हम बात करेंगें एक ऐसे अनोखे मंदिर की जहां दान में रूपए, पैसे नहीं बल्कि हांथी दिया जाता है. यह अनोखा मंदिर भारत के केरल राज्य के त्रिशूर जिले में स्थित है, जिसे गुरुवायुर मंदिर के नाम से जाना जाता है. आइये जानते है. इस मंदिर की अन्य विशेषता क्या है? दर्शन के लिए ड्रेसकोड इस मंदिर में यदि आपको भगवान के दर्शन करने जाना है, तो मंदिर के नियमानुसार यहाँ का ड्रेसकोड धारण करना होगा. अन्यथा आपको मंदिर में प्रवेश नही दिया जाएगा. यहाँ स्त्री व पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग ड्रेसकोड है, जिसमे पुरुष को मंडू जो एक प्रकार की धोती होती है, पहनना आवश्यक होता है व शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने के लिए वेश्थी जो वस्त्र का एक छोटा टुकड़ा होता है, धारण कर सकते है. वहीं स्त्रियों द्वारा पश्चिमी सभ्यता के कपड़ों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है. वह इस मंदिर में साड़ी या लॉन्ग स्कर्ट के ऊपर ब्लाउज धारण कर इस मंदिर में प्रवेश करती है, लेकिन वर्तमान समय में स्त्रियों को सलवार सूट पहनने की छूट भी दे दी गई है. मंदिर का इतिहास- इस मंदिर में भगवान कृष्ण के बालरूप गुरुवायुरप्पन के दर्शन कर उनकी पूजा की जाती है. माना जाता है, की भगवान कृष्ण का यह मंदिर सदियों पुराना है, जब इस युग का प्रारंभ हुआ था. तब स्वयं वायुदेव ने इस मंदिर में मूर्ती कि स्थापना की थी. इसी वजह से इस मंदिर को गुरुवायुरप्पन के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में हाथी दान करने की परंपरा भी बहुत पुरानी है. इसी वजह से मंदिर के समीप ही एक अभ्यारण का निर्माण किया गया है, जिसे पुन्नाथुर कोट्टा के नाम से जाना जाता है. इस अभ्यारण में 60 हांथी मौजूद है जो दान स्वरुप इस मंदिर को प्राप्त हुए है जिन्हें मंदिर के कार्यों को करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. हिन्दू महासभा ने जारी किया कैलेण्डर, मक्का को बताया मक्केश्वर महादेव मंदिर किसी विष की भांति नीला हो जाता है यहाँ चढ़ाया गया दूध इंदौर में स्थापित है 'ऊँ' आकार के गणेशजी की प्रतिमा स्वर्ण मंदिर का लंगर राज्य जीएसटी से हुआ मुक्त