नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में महिला अभ्यर्थियों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) परीक्षा में बैठने की इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को आर्मी को फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान आर्मी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, जिस पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि यह नीतिगत फैसला "लिंग भेदभाव" पर आधारित है। Supreme Court orders allowing women to take the National Defence Academy (NDA) exam scheduled for September 5th. The Apex Court says that admissions will be subject to the final orders of the court pic.twitter.com/8YVgaxz5O8 — ANI (@ANI) August 18, 2021 इसके बाद अदालत ने अपना अंतरिम आदेश पारित करते हुए महिलाओं को 5 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) एग्जाम में शामिल होने की इजाजत देने के निर्देश दिए और कहा कि दाखिले अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होंगे। याचिका में कहा गया है कि 10 2 स्तर की शिक्षा रखने वाली पात्र महिला अभ्यर्थियों को उनके लिंग के आधार पर NDA और नौसेना अकादमी परीक्षा देने का मौका नहीं दिया जाता है। अदालत ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि, जबकि, समान रूप से 10 2 स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले पुरुष अभ्यर्थियों को परीक्षा देने और अर्हता प्राप्त करने के बाद भारतीय सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशंड अधिकारी के रूप में नियुक्त होने के लिए ट्रेनिंग लेने के लिए NDA में शामिल होने का मौका मिलता है। यह सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता के मौलिक अधिकार और लिंग के आधार पर पक्षपात से सुरक्षा के मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। भारत ने 56 करोड़ से अधिक लोगों का किया वैक्सीनेशन आखिर किस वजह से प्रतिवर्ष कैलिफोर्निया के जंगलों में लग जाती है आग गोवा केंद्रीय गृह मंत्रालय से अंतरराष्ट्रीय चार्टर उड़ानों की अनुमति देने का करेगा अनुरोध