नैनीताल में नैना पीक की तलहटी का क्षेत्र संवेदनशील होता जा रहा है।इसके अलावा बीते दिनों यहां लगभग 100 फीट लंबी और आधे से तीन फीट तक चौड़ी दरार नजर आई थी। वहीं मंगलवार को टांकी बैंड के निकट सड़क पर गहरे गड्ढे दिखाई दिए। इनके आस-पास सड़क में भी दरार थी। एक गड्ढा तो भीतर से बहुत गहरा और सुरंग जैसा दिखाई दे रहा था।हिमालय दर्शन क्षेत्र में टांकी बैंड की सड़क में बने गड्ढे और दरारें हादसों का कारण बन सकते हैं। पूर्व सभासद भूपाल सिंह कार्की ने बताया कि टांकी बैंड के पास सड़क में बने गड्ढे और दरारों से लोगों में दहशत है। सड़क की हालत खस्ता होने के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 1987 में भी नैना पीक के दरकने से खासा नुकसान हुआ था, लेकिन तब प्रशासन ने पहाड़ी में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए थे। हालांकि उसके कुछ साल बाद ही संबंधित विभाग और प्रशासन ने नैना पीक की ओर मुड़कर नहीं देखा। सरकारी मशीनरी की यही उपेक्षा अब कभी भी भारी पड़ सकती है।बता दें कि दो दिन पहले नैना पीक की पहाड़ी में पड़ी 100 फीट लंबी दरार का वीडियो जारी होने के बाद से लोगों में दहशत है। शेरवानी निवासी और व्यवसायी भूपेंद्र सिंह बिष्ट बताते हैं कि 1987 के जुलाई-अगस्त में भी इस पहाड़ी में भारी भूस्खलन से काफी नुकसान पहुंचा था। इसके साथ ही तब वन विभाग ने भूस्खलन रोकने के लिए पहाड़ी में रामबांस, सूरई के पौधों के अलावा जर्मन घास और नागफनी भी लगाई।पहाड़ी की ढलान में जगह-जगह बड़े गड्ढे बनाए, ताकि ऊपर से गिरने वाले पत्थर आबादी तक न पहुंच सकें। तब विभागों के यह प्रयास सार्थक भी हुए। बलरामपुर क्षेत्र निवासी अरविंद पडियार का कहना है कि 1990 के बाद इस क्षेत्र की किसी ने भी सुध नहीं ली। नैनीताल नगर पालिका सभासद दया सुयाल का कहना है कि नैना पीक की पहाड़ी में दरार नजर आने से पहले भी पूर्व में कई बार पत्थर गिरे हैं। मुख्यमंत्री और डीएंम को इस संबंध में ज्ञापन देकर ठोस कार्रवाई की मांग की गई है। मारुती : कंपनी गर्मी में इन कारों की खरीद पर दे रही जबरदस्त छूट होटलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर्स के लिए गाइडलाइन बनाए राज्य सरकार- केंद्र अफ़ग़ानिस्तान में फंसे भारतीयों की होगी वतन वापसी, 26 मई से रोज़ आएगी एक फ्लाइट