बिहार सरकार तंबाकू की बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है और में तंबाकू उत्पादक किसानों में गुस्सा उबल रहा है. सरकार के इस फैसले का तंबाकू उत्पादक किसान विरोध कर रहे हैं. बिहार की बात करे तो समस्तीपुर जिले में 15 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू उगाया जाता है. किसानों की रोजी रोटी से लेकर अर्थव्यवस्था तम्बाकू के इर्द-गिर्द ही घूमती है.जिले के समस्तीपुर, सरायरंजन, दलसिंहसराय, उजियारपुर, ताजपुर, मोडवा, वारिसनगर और पटोरी के इलाकों में तंबाकू की खेती ही किसान की कमाई का बड़ा जरिया है. . सरकार के फैसले के बारे में किसानों का कहना है कि अगर तंबाकू की खेती किसान बंद कर दें तो फिर इसके जगह हम कौन सी फसल लगाएंगे जिससे हमें कम खर्च पर अच्छी आमदनी हो. सरकार को पहले इसकी व्यवस्था करनी चाहिये. कई किसानों ने तो यहां तक कह दिया कि हम सरकार के इस फैसले को नहीं मानेंगे. खबर पर राजद नेता और पूर्व सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि तम्बाकू उत्पादन के दृष्टिकोण से इस इलाके को गोल्डेन लिफ़ बेल्ट कहा जाता है. तम्बाकू उत्पादन के दृष्टिकोण से देश में बिहार का तीसरा स्थान है. यहां के किसान के आय का यह प्रमुख साधन है. इसके लिए एक कैम्पेन सरकार को चलाना चाहिए. सरकार का यह फैसला किसान विरोधी है. उन्होंने कहा कि सरकार जिम्मेवारी से भाग रही है और सिर्फ अपनी छवि निखारने की कोशिश कर रही है, इसका हर्ष शराब बंदी की तरह ही कहीं न हो जाए. उन्होंने कहा कि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन यह किसानों की नगदी फसल की तरह है. बिहार में शराब के बाद खैनी पर भी लगेगा बैन JDU किसी के प्रयास से एलिमिनेट नहीं होगी- नीतीश कुमार मोदी की हत्या की साजिश पर तेजस्वी का सुझाव