पटना: बिहार के कुख्यात बाहुबली नेता और आरजेडी के पूर्व विधायक अनंत सिंह ने मोकामा गैंगवॉर मामले में अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है। उनके साथ ही सोनू ने भी सरेंडर किया था। हालांकि, अनंत सिंह का सरेंडर करने का तरीका अलग था, क्योंकि वे खुद अदालत पहुंचे थे। अब अदालत से उन्हें सीधे पटना के बेऊर जेल भेजे जाने की तैयारी हो रही है। 22 जनवरी को मोकामा में अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच हुए गैंगवॉर ने पूरे इलाके को दहला दिया था। इस घटना में दोनों पक्षों के बीच 70 से 80 राउंड गोलियां चलीं। घटना के दौरान अनंत सिंह बाल-बाल बच गए थे, लेकिन उनके एक समर्थक को गोली लगी थी। इस घटना के बाद मोकामा क्षेत्र में तनाव बढ़ गया था, और पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन एफआईआर दर्ज की थीं। पुलिस ने एक एफआईआर यह कहकर दर्ज की कि उनके काम में बाधा डालने की कोशिश की गई। दूसरी एफआईआर सोनू-मोनू के परिवार ने दर्ज कराई, जबकि तीसरी अनंत सिंह ने खुद दर्ज करवाई। यह मामला अब कई कानूनी मोड़ ले चुका है, और इसके चलते इलाके में माहौल गरमा गया है। सोनू और मोनू के खिलाफ बिहार के लखीसराय और पटना जिलों में कई थानों में हत्या, अपहरण, और जबरन वसूली जैसे 12 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। मोकामा की राजकीय रेलवे पुलिस ने भी उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं, जो ट्रेनों में डकैती से संबंधित हैं। इन आरोपों के कारण सोनू और मोनू को पहले से ही पुलिस की तलाश थी। अनंत सिंह बिहार के एक चर्चित और विवादित चेहरा हैं, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ के नाम से जाना जाता है। मोकामा में उनकी पकड़ राजनीति और अपराध दोनों में गहरी मानी जाती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह ने आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, वे फिलहाल आर्म्स एक्ट के मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं। यह मामला अगस्त 2019 में उनके आवास से एके-47 राइफल बरामद होने के बाद दर्ज किया गया था। मोकामा विधानसभा सीट, जो कभी अनंत सिंह का गढ़ मानी जाती थी, अब उनकी पत्नी नीलम देवी के पास है। नीलम देवी ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। मोकामा की गैंगवॉर ने न सिर्फ कानून व्यवस्था के मुद्दे को उजागर किया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। अनंत सिंह के सरेंडर और सोनू-मोनू के आत्मसमर्पण के बाद पुलिस पर दबाव बढ़ा है कि वह निष्पक्ष तरीके से मामले की जांच करे। इस मामले ने एक बार फिर बिहार में अपराध और राजनीति के गहरे रिश्ते को उजागर किया है। मोकामा में गैंगवॉर और अनंत सिंह के आत्मसमर्पण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कब तक बिहार की राजनीति अपराधियों के साए से मुक्त हो पाएगी। फिलहाल, सभी की नजरें इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई पर टिकी हैं। केरल के बिना राजपाट और मंत्री के राजा रमन राजमन्नान को मिला गणतंत्र दिवस का निमंत्रण वक्फ की JPC बैठक में हुआ जबरदस्त हंगामा, ओवैसी-कल्याण समेत 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड महाराष्ट्र की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में भीषण ब्लास्ट, 8 लोगों की दुखद मौत, कई घायल