प्रयागराज: इलाहबाद उच्च न्यायालय ने बिकरू हत्याकांड मामले में आरोपी पाए गए तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा की जमानत याचिका ठुकरा दी है. इन पर मुखबिरी और छापेमारी संबंधी जानकारी लीक करने के इल्जाम लगे हैं. इसके साथ ही इन दोनों पर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के गैंग को संरक्षण देने के भी इल्जाम हैं. इसी मामले में दोनों को अरेस्ट किया गया है. फिलहाल दोनों जेल में सजा काट रहे हैं. अदालत ने माना कि पर्याप्त सबूत के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने पुलिस की रेड की जानकारी गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों को पहले ही दे दी थी. इस सूचना के कारण गैंगस्टर दबिश को लेकर न सिर्फ अलर्ट हो गया, बल्कि उन्हें जवाबी कार्रवाई करने का भी अवसर मिला. इसी कारण 8 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी. यह बेहद अहम है कि इन दोनों आरोपी ऑफिसर ने पुलिस की छापेमारी को लेकर गैंगस्टर विकास दुबे को सूचना दी थी. यही कारण था कि पुलिस रेड से पहले ही विकास दुबे अलर्ट हो गया और उसके द्वारा गोलीबारी में आठ पुलिस वाले शहीद हो गए. पुलिस ने दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को सूचना लीक करने के मामले में साल 2020 में अरेस्ट किया था. भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्कर और बीएसएफ जवानों के बीच मुठभेड़, एक की मौत जारी हुए पेट्रोल-डीजल के नए दाम, जानिए आज का भाव टाटा मोटर्स 1 अक्टूबर से बढ़ाएगी वाणिज्यिक वाहनों की कीमतें