अहमदाबाद: सर्वोच्च न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों की वक़्त से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका पर सोमवार (27 मार्च) को सुनवाई की। अदालत ने इसके बाद केंद्र, गुजरात और 11 दोषियों को नोटिस भेजते हुए जवाब माँगा है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुक़र्रर की है। सुनवाई के दौरान अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 'दोषियों द्वारा किया गया अपराध भयावह है और यह भावनाओं से अभिभूत नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस वी राजू से पूछा कि क्या छूट देने से पहले उनसे परामर्श किया गया था। इस पर ASG ने अदालत को बताया कि इस मामले में केंद्र सरकार से विधिवत परामर्श किया गया था। इस पर, जस्टिस जोसेफ ने गुजरात राज्य के वकील से कहा है कि दोषियों की रिहाई से संबंधित तमाम फाइलें सुनवाई की अगली तारीख पर तैयार रखें। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 अप्रैल के लिए मुक़र्रर करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वह पहले वह दायरा निर्धारित करेगी जिसके अंदर सुनवाई की जानी है। बता दें कि, जस्टिस जोसेफ ने मामले में पेश होने वाले वकीलों से यह भी कहा कि मामले को जून से पहले ख़त्म करने की आवश्यकता है, क्योंकि वह तब रिटायर हो रहे हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या गुजरात सरकार इस प्रकार से छूट नीति लागू कर सकती है, जब हत्या के दोषी भी वर्षों से जेल में कैद हैं। कोर्ट ने रिहा हुए दोषियों की आपराधिक पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में भी पूछा। इस सवाल के जवाब में वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि पैरोल के दौरान भी दोषियों पर छेड़खानी करने के आरोप लगे हैं। वृंदा ग्रोवर इस मामले में, एक जनहित याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हो रही थीं। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने उस छूट नीति के बारे में भी पूछा जिसके आधार पर इस मामले में दोषियों को छूट दी गई थी? दिल्ली: आग लगने के बाद भरभराकर ढही 2 मंजिला इमारत, दमकल की कई गाड़ियां मौके पर सावधान ! कैंसर की दवा में मिला जानलेवा बैक्टीरिया, लोकसभा से लेकर WHO तक मचा हड़कंप कांग्रेस के आरोपों के बीच 'अडानी' की बड़ी जीत, Adani Power को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट!