स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा!’ यह नारा दिया था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता बाल गंगाधर तिलक ने। आजादी का शंखनाद करने वाले तिलक ने ब्रिटिश राज की क्रूरता की ने लेखों में भी कड़ी निंदा की थी। उन्होंने देश की आवाम को आजादी के लिए प्रेरित किया। इस वजह से उन्हें लोकमान्य की उपाधि दी गई। बाल गंगाधर तिलक को हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी माना जाता है। वे शिक्षक, वकील, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। आज उनकी जयंती पर हम आपके लिए लाए हैं, उनके ५ ऐसे ओजस्वी विचार जो आपको प्रेरित करते रहेंगे। - प्रगति स्वतंत्रता में निहित है. स्वशासन के बिना न औद्योगिक प्रगति संभव है, और न ही शैक्षिक योजना … राष्ट्र के लिए उपयोगी होगी… भारत की आजादी के लिए प्रयास करना सामाजिक सुधारों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। - आपका लक्ष्य किसी जादू से नहीं पूरा होगा बल्कि आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना पड़ेगा. कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है। - यदि हम किसी भी देश के इतिहास को अतीत में जाएं , तो हम अंत में मिथकों और परम्पराओं के काल में पहुंच जाते हैं जो आखिरकार अभेद्य अन्धकार में खो जाता है। - जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है। - ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है कि मैं जिस उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता हूँ वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो। B'Day : पत्नी ज़ीनत को सरेआम पीटते थे मज़हर खान, इस तरह हुई मौत मुकेश : शादी में गाए एक गाने ने बनाया सुरों का बादशाह, इस फिल्म से किया था डेब्यू मनीष रैसिंघण : यह शॉर्ट फिल्म ऑस्कर में हुई क्वालिफाई