अब्दुल कलाम के गुरु माने जाते हैं विक्रम साराभाई, मात्र 1 रुपए वेतन पर ISRO में किया था काम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी 12 अगस्‍त को इमेजिंग सैटेलाइट जीसैट-1 को लॉन्‍च करने वाला है. इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग के साथ ही ISRO एक नया इतिहास रचने जा रहा है. इस उपग्रह को ‘भारत की आंख’ के नाम से पहचाना जाएगा. ISRO का यह सैटेलाइट अंतरिक्ष से पूरे देश पर नजर रख सकेगा. इसरो का यह सैटेलाइट जिस दिन लॉन्‍च हो रहा है वो दिन भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए बेहद खास है. दरअसल, आज ही के दिन पर भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के ‘पितामह’ विक्रम साराभाई का जन्मदिवस होता है. डॉ विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है. उन्‍होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और स्‍पेस रिसर्च में  अहम भूमिका निभाई थी.

विक्रम साराभाई के कारण ही अहमदाबाद में फिजिक्‍स रिसर्च लैबोरेट्री स्थापित हो सकी थी. वो सन् 1947 में कैम्ब्रिज से वापस भारत लौटे और 11 नवंबर, 1947 को अहमदाबाद में विक्रम साराभाई ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की. उस समय उनकी आयु महज 28 वर्ष थी. विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक PRL की सेवा की. उन्‍हें वर्ष 1966 में पद्मभूषण से नवाज़ा गया था. साल 1972 में उन्‍हें मरणोपरांत पद्मविभूषण से नवाज़ा गया था. डॉ साराभाई परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन भी थे. उन्‍होंने अहमदाबाद में अन्य उद्योगपतियों के साथ मिल कर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) अहमदाबाद की स्थापना में अहम भूमिका अदा की थी. ISRO की स्थापना उनकी महान उपलब्धियों में गिनी जाती थी.

रूसी स्‍पेस एजेंसी Sputnik की लॉन्चिंग के बाद, उन्होंने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के संबंध में सरकार को राजी किया था. डॉ. साराभाई ने भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया. डॉक्‍टर विक्रम साराभाई ने दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में नोबेल विजेता डॉक्टर सी.वी रमन के साथ कार्य किया. साराभाई और परमाणु उपकरणों के शांतिपूर्ण उपयोग पर होने वाली कई कांफ्रेंस और अंतरराष्ट्रीय पैनलों के प्रमुख रहे. वो कैम्ब्रिज फिलोसोफिकल सोसाइटी के साथी थे और अमरीकी जियो फिजिकल यूनियन के मेंबर थे. वर्ष 1962 में इन्हें ISRO का कार्यभार मिला. उनकी निजी संपत्ति को देखते हुए, उन्होंने अपने काम के लिए मात्र एक रुपए के टोकन वेतन में कार्य किया.

साराभाई ने इंडियन सैटेलाइट के लॉन्‍च और इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. ये उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि भारत अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्‍च कर पाया था. साल 1975 में रूस के सेंटर से इसे लॉन्‍च किया गया था. उन्‍हें देश के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्‍टर अब्‍दुल कलाम का गुरु माना जाता था. 30 दिसंबर 1971 में साराभाई मुंबई (उस वक़्त बॉम्‍बे) जाने की तैयारी में थे. वो रवाना होने से पहले SLV डिजाइन का रिव्‍यू कर रहे थे. उस वक़्त उन्‍होंने अब्‍दुल कलाम को कॉल किया था. डॉक्‍टर कलाम से फोन पर बात करने के एक घंटे के भीतर ही कार्डियक अरेस्‍ट की वजह से उनका देहांत हो गया. उस वक़्त उनकी उम्र बस 52 साल थी.

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