साण्डर्स को मारकर लिया लाला लाजपत राय की मौत का बदला, छोटी सी उम्र में फांसी चढ़ गए थे 'राजगुरु'

महज 22 वर्ष की आयु में हमारे देश की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और भारत माता के सम्मान के खातिर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। आज अमर शहीद शिवराम हरी राजगुरु (Shivaram-Rajguru) की जयंती है। वैसे तो बचपन से ही राजगुरु के भीतर जंग-ए-आज़ादी में शामिल होने की जबरदस्त ललक थी। इसी प्रकार वाराणसी में पढ़ाई करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। किन्तु चन्द्रशेखर आजाद से वे इतने प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से फ़ौरन जुड़ गए, उस समय उनकी आयु महज 16 साल की ही थी। 

इस दल में राजगुरु और उनके साथियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अधिकारियों के मन में अपना भय पैदा करना। इसके साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये प्रेरित भी करते थे। जहाँ एक ओर महात्मा गांधी के विचारों के विपरीत राजगुरु क्रांतिकारी तरीके से हथियारों के बल पर आजादी चाहते थे, इसके कारण उनके विचार महात्मा गांधी के विचारों से कभी मेल नहीं खाते थे। आजाद की पार्टी में इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था। पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके प्रिय मित्र थे। वैसे राजगुरु खुद भी एक निपुण निशानेबाज भी थे। 19 दिसंबर 1928 की जब राजगुरू ने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स को मौत के घाट उतर दिया था। यह वारदात, दरअसल, लाला लाजपत राय की हत्या का बदला थी, जिनकी मौत साइमन कमीशन का विरोध करते समय लाठीचार्ज के दौरान हुई थी।  इसके साथ ही 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में हुए सेंट्रल असेम्बली में बम हमला में भी राजगुरु की अहम भूमिका थी। 

साण्डर्स की हत्या के बाद राजगुरु ने नागपुर जाकर RSS कार्यकर्ता के घर में शरण ली। इसके बाद वहीं पर उनकी मुलाकात डा.के.बी हेडगेवार से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की एक बड़ी योजना तैयार की। किन्तु अफ़सोस की इससे पहले कि वे अपने इस आगे की योजना पर चलते, पुणे जाते समय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई। इन तीनों का ही दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में हुआ। इस प्रकार आजादी का ये मतवाला अपने दोस्तों के साथ ही भारत माता के लिए हँसते-हँसते बलिदान हो गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय अगले शैक्षणिक वर्ष से एनईपी करेगा लागू

सूचना प्रौद्योगिकी शेयरों के नेतृत्व में सेंसेक्स और निफ्टी में आई गिरावट

तिरुपति में कोरोना वैक्सीनेशन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए शुरू हुआ एक और अभियान

 

Related News